scriptसाधक के जीवन में पांच परिवर्तन: आचार्य चंद्रयश | Five changes in the life of a seeker: Acharya Chandrayash | Patrika News

साधक के जीवन में पांच परिवर्तन: आचार्य चंद्रयश

locationबैंगलोरPublished: May 08, 2021 12:43:58 pm

सिद्धाचल स्थूलभद्र धाम में प्रवचन

बेंगलूरु. सिद्धाचल स्थूलभद्र धाम देवनहल्ली में आचार्य चंद्रयश सूरीश्वर ने साधु-साध्वीवृंद को आत्मा परिणति के ऊपर प्रवचन में कहा कि साधक को परमात्मा द्रव्य का लक्ष्य रखना चाहिए।

उन्होंने कहा कि साधक के जीवन में मुख्य रूप से पांच परिवर्तन देखे जाते हैं। पहला होता है काया परिवर्तन। अनंत काल से जीव निगोध में भ्रमण कर रहा था।
ना जाने कितनी बार जन्म और मरण लिया होगा। पर जब पुण्योदय प्रबल होता है तब उसकी आत्मा एकेन्द्रिय से पंचेन्द्रिय में से कोई भी एक में जन्म लेते पंचेन्द्रिय जीव में जब जीव आता है और तब उसकी काया परिवर्तन होती है। दूसरा दृष्टि परिवर्तन तब होता है जब मनुष्य भव की प्राप्ति होने के बाद सद्गुरु का संग होता है।
जिनवाणी का श्रवण कर वैराग्य की भावना उत्पन्न होते ही सम्यग दर्शन, ज्ञान की शुरुआत होती है। तीसरा हृदय परिवर्तन तब होता है जब साधक हर एक जीवों में राग-द्वेष का परिणाम देखकर उनकी परवशता का चिंतन करता है। चौथा परिवर्तन वैराग्य भाव पुष्ट करके सद्गुरू के पास दीक्षित होकर वेष बदलने के समय होता है। स्वभाव परिवर्तन पांचवां परिवर्तन है जो बहुत मुश्किल से होता है।
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