कोडुगू, चिक्कमग्गलूरु और हासन जिलों के कई हिस्सों में बारिश के कारण राज्य के साथ-साथ देश में भी वर्ष 2019-2020 के दौरान कॉफी उत्पादन में गिरावट की संभावना है क्योंकि पूरे देश में उत्पादित होने वाली कॉफी का 70 फीसदी उत्पादन यहीं होता है। कॉफी उत्पादकों को पिछले ही वर्ष बाढ़ के कारण बड़ा नुकसान हुआ था और इस बार वे बेहतर उत्पादन और अच्छे साल की उम्मीद कर रहे थे। अब कोडुगू और चिक्कमग्गलूरु के काफी उत्पादकों का कहना है कि उन्हें बगानों के विकास के लिए कम से कम 10 साल का समय चाहिए और कई मामलों में इससे भी अधिक समय लग सकता है।
कॉफी बोर्ड के अनुसार राज्य के कॉफी उत्पादक क्षेत्र कोडुगू, चिक्कमग्गलूरु और हासन जिले में पिछले वर्ष जनवरी से सितम्बर के बीच 46 .98 फीसदी अधिक बारिश हुई। अकेले कोडुगू में फसल नुकसान 25 हजार 20 टन का था। चिक्कमग्गलूरु और हासन जिले में क्रमश: फसल हानि 17 हजार 250 टन और 5 हजार 98 0 टन लगाया गया है। यह अनुमान पिछले साल की आपदा के आधार पर कॉफी बोर्ड की ओर से लगाए गए हैं। इस साल इस साल, चिक्कमग्गलूरु और मुदिगेरे तालुक में बलूरु और कलसा होबली के कुछ हिस्सों में कई काफी बागानों को क्षति पहुंची है। मधुगुंडी गांव के कार्तिक ने कहा कि उनका परिवार कई दशकों से कॉफी का उत्पादन कर रहा है। व्यवसाय में विविधता लाने के लिए होम-स्टे कारोबार का विकल्प है लेकिन वे इसे नहीं अपनाएंगे। वे पारंपरिक खेती जारी रखेंगे। इस बार भू-स्खलन के कारण उनके कॉफी बगान का एक बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। उन्होंने बताया कि उनके परिवार का 50 एकड़ से अधिक क्षेत्र में कॉफी बगान है लेकिन अब, केवल 5 से 10 एकड़ ही बचे हैं। वह भी एक अलग-अलग हिस्से रह गए हैं।
कोडुगू प्लांटर्स एसोसिएशन के सीके बेलियप्पा ने कहा कि कॉफी बागानों में बड़े पैमाने पर फल झडऩे के अलावा कई जगह बागान डूब गए। दक्षिण कोडूगू में इसका सबसे अधिक असर हुआ है जहां तोरा और विराजपेट तालुक में बड़े पैमाने पर भू-स्खलन हुआ है। उन्होंने कहा कि वे कॉफी बोर्ड के लगातार संपर्क में है और अपनी दुर्दशा से अधिकारियों को अवगत कराया है। बोर्ड नुकसान का सही आकलन करेगा और अब रिपोर्ट का इंतजार करेंगे। पिछले वर्ष नुकसान की तुलना में जो मुआवजा मिला वह उपयुक्त नहीं था। जिला प्रशासन ने कहा है कि किसानों की जमीन पर मिट्टी, रेत, और कींचड़ आदि जमा होने पर प्रति हेक्टेयर 12 हजार 400 रुपए मुआवजा मिलेगा।
वहीं, कॉफी बोर्ड मडिकेरी के उपनिदेशक (एक्सटेंशन) बी.शिवकुमार ने कहा कि फसल नुकसान का आकलन शुरू हो चुका है। नुकसान की स्पष्ट तस्वीर आने में कुछ वक्त लगेगा। उन्होंने कहा कि बारिश और बाढ़ के कारण जो अत्यधिक नमी बनी है वह भी फसल के लिए नुकसानदायक है। सोमवार पेट तालुक में लगभग 4500 हेक्टेयर रकबे में काली मिर्च की खेती होती है। उत्पादकों को सोमवारपेट कस्बे के अलावा शनिवारसंते, सुंटीकोप्पा और कोडिपेट होबली में भारी नुकसान हुआ है।