वायुसेना अपनी ओर से इस स्क्वाड्रन की ऑपरेशनल जरूरतों को प्राथमिकता के आधार पर पूरी कर रही है। दक्षिणी वायुकमान के कमांडिंग-इन-चीफ एयर मार्शल बालाकृष्णन सुरेश ने कहा कि फ्लाइंग डैगर्स के नए एयर-बेस को स्थापित करने से जुड़े तमाम मुद्दे सुलझा लिए गए हैं।
स्क्वाड्रन से जुड़े पायलट खुश हैं। अब फर्क सिर्फ इतना रह गया है कि तेजस बेंगलूरु की जगह सुलूर में आ गया है। उन्होंने कहा कि वे युवा पायलटों के साथ हाल ही में बैठक किए थे।
उन्हें इस बात का संतोष है कि यह स्क्वाड्रन अब मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है और अपना आकार लेने लगा है। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण चीज जो मायने रखती है वह है उपलब्धता जिसमें काफी सुधार हुआ है जो कि एक अच्छा संकेत है। इससे स्क्वाड्रन को उम्मीदों के अनुसार प्रशिक्षित किया जा रहा है।
उम्मीद है कि मार्च 2019 तक तेजस विमानों की संख्या में और वृद्धि हो जाएगी। इससे टीम के पास काफी विकल्प होंगे। फिलहाल दो तेजस विमान जल्दी ही स्क्वाड्रन में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि स्क्वाड्रन के सुलूर स्थानांतरित होने के बाद तमाम जमीनी उपकरणों को यहां लाना पड़ा। अब यहां रखरखाव केंद्र स्थापित किया जा चुका है। इसके बाद लॉगिस्टिक सपोर्ट सिस्टम तैयार किया गया।
इसके अलावा 100 परिवार भी यहां स्थानांतरित हुए। अब पूरा ध्यान टीम के ज्यादा से ज्यादा पायलटों को हवा से हवा में और हवा से जमीन पर मार करने के लिए दिए जाने वाले प्रशिक्षण पर है।
पायलटों और तेजस विमानों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ स्क्वाड्रन की ऑपरेशनल क्षमता बढ़ेगी। इस स्क्वाड्रन की कमान संभाल रहे गु्रप कैप्टन एस.धनकर हैं। आगामी फरवरी 2019 में फ्लाइंग डैगर्स वायु शक्ति अभ्यास में अग्रिम पंक्ति के युद्धकों के साथ भाग लेंगे।
इस दौरान डॉग-फाइट और बमबारी आदि का कौशल बढ़ाने पर जोर होगा। इस अभ्यास के बाद तेजस एयरो इंडिया एयर शो में भाग लेने यलहंका वायुसैनिक अड्डे पर उतरेंगे।