मौसम के हिसाब से भोजन बदलना चाहिए-साध्वी रिद्धिमा
बैंगलोरPublished: Sep 24, 2021 07:45:26 am
जयनगर में धर्मसभा
मौसम के हिसाब से भोजन बदलना चाहिए-साध्वी रिद्धिमा
बेंगलूरु. श्वेतांबर स्थानकवासी जैन श्रावक संघ जयनगर में विराजित साध्वी रिद्धिमा ने कहा कि कितना आगम पढऩा आवश्यक है, उतना ही अपने शरीर को सही रखना भी आवश्यक है। स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर हमें भोजन करना चाहिए, साल के 12 महीनों में आयुर्वेद के हिसाब से अलग-अलग मौसम में अलग-अलग तरीके का भोजन करना चाहिए, भोजन तीन प्रकार का है तामसिक, तामसिक और सात्विक। अगर शरीर सही नहीं रहेगा, धर्म भी नहीं होगा, स्वाध्याय भी नहीं होगा, चिंतन भी नहीं होगा, मनन भी नहीं होगा, पठन भी नहीं होगा। पारिवारिक गतिविधियां भी नहीं हो पाएगी, रिश्तों को भी नहीं संभाल पाएंगे। इसीलिए जब तक जीवन मिला है, तब तक स्वास्थ्य भी रहना चाहिए। गया वक्त वापस नहीं लौटता इसीलिए जो वक्त चल रहा है उसका मूल्य समझना चाहिए। बचपन गया वापस नहीं आएगा, जवानी गई वापस नहीं आएगी, बुढ़ापा कोई चाहता नहीं मगर फिर भी आएगा और उस बुढ़ापे में स्वस्थ रहते हुए बिना किसी का आश्रय लिए, बिना किसी के सहायता के हमें दूसरों के लिए भी सहायक बनना होगा। भोजन का जीवन पर सबसे बड़ा प्रभाव होता है, भोजन का मनुष्य के मन पर भी बड़ा प्रभाव होता है, भोजन सही तो जीवन सही, भोजन सात्विक तो जीवन भी सात्विक, भोजन अच्छा जीवन भी अच्छा।