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कोरोना महामारी के साथ अब जंगल में आग का प्रसार रोकने की चुनौती

locationबैंगलोरPublished: Apr 03, 2020 11:11:08 am

Submitted by:

Rajeev Mishra

वायुसेना को किया अलर्ट, हेलीकॉप्टरों की ली जाएगी मदद

कोरोना महामारी के साथ अब जंगल में आग का प्रसार रोकने की चुनौती

कोरोना महामारी के साथ अब जंगल में आग का प्रसार रोकने की चुनौती

बेंगलूरु.
लॉकडाउन के दौरान कुछ शरारती तत्वों ने राज्य के जंगली इलाकों में दो हजार से अधिक स्थानों पर आग लगा दी है। एक दिन पहले ही इसमें से लगभग 300 स्थानों पर आग लगाई गई। अब सरकार के सामने कोविड-19 के साथ आग के प्रसार को रोकने की भी चुनौती आ गई है।
वन मंत्री आनंद सिंह ने बताया कि जंगली इलाकों में आग की घटनाओं को देखते हुए सरकार ने भारतीय वायुसेना से अनुरोध किया है कि वह आग पर काबू पाने के लिए हेलीकॉप्टरों को तैयार रखे। वायुसेना ने हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया है। राज्य में 21 से 31 मार्च के बीच जंगल में कुल 1 हजार 777 स्थानों पर आग लगने की घटनाएं हुईं। अकेले 1 अप्रेल को ही 300 नए स्थानों पर आग लगा दी गई। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार यह शरारती तत्वों की करामात हो सकती है। यह वन भूमि के अतिक्रमण की कोशिश है। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने चिंता जताते हुए कहा कि शहरी क्षेत्रों से जुड़े वनक्षेत्रों में आग की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। लॉकडाउन के कारण जहां यातायात कम हो गया है और सड़क सूने हो गए हैं वहीं, शरारती तत्व इसका लाभ उठा रहे हैं। हर वर्ष इस समय आगजनी की घटनाएं बढ़ती हैं और अधिकारियों के लिए इसे रोकने की चुनौती होती है।
लॉकडाउन के दौरान भी निगरानी
आनंद सिंह ने कहा कि जंगलों में आग लगाने की घटनाएं अतिक्रमण की कोशिश है लेकिन सरकार इन अत्याधुनिक तकनीक से इन अतिक्रमणों की निगरानी कर रही है। उन्होंने कहा कि ‘हमने ऐसे एप्लीकेशन विकसित किए हैं जो हर 15 दिनों में 10 वर्ग मीटर या उससे अधिक वन-वनस्पतियों के नुकसान की जीपीएस रीडिंग के साथ-साथ उपग्रह चित्रों पर संकेत देता है। इसके जरिए हम लॉकडाउन के दौरान भी नए अतिक्रमणों का पता लगाने और उन पर अंकुश लगाने में सक्षम हैं।’
तस्करी और शिकार भी नजर
गौरतलब है कि पिछले वर्ष बंडीपुर जंगल में लगी आग के कारण 12 हजार एकड़ वनक्षेत्र जलकर खाक हो गया। जांच के बाद पता चला है कि पारदर्शिता को ताक पर रखकर 1.4 करोड़ रुपए की लागत से बनाई गई दोषपूर्ण फायरलाइन आग की रोकथाम में बरती गई ढिलाई और निगरानी की कमी के कारण आग लगी। आनंद सिंह ने कहा कि फायरलाइन बनाते हुए विभाग ने जंगलों को ब्लॉक में विभाजित किया है। पिछले 1 जनवरी से आग पर नजर रखने वालों को तैनात किया गया है। वे अहम स्थानों पर टिके हुए हैं जहां से आग की निगरानी की जा रही है। रात्रि पहरेदारी भी हो रही है। तस्करी और शिकार पर भी नजर रखी जा रही है।
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