अरण्य भवन में सोमवार को सेवानिवृत्त वन अधिकारी व कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) में वन विभाग के पूर्व प्रधान सचिव एसी लक्ष्मण (A C Laxman) द्वारा लिखित ‘चैलेंजेज ऑफ ट्रॉपिकल फॉरेस्टर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ शीर्षक पुस्तक का विमोचन करने के बाद वेंकटचलैया ने कहा कि वनपाल की दुनिया एक आध्यात्मिक दुनिया है। वन महज पेड़-पौधों का संग्रह नहीं है। वन जीवन है।
उन्होंने कहा कि निजी स्वार्थ के लिए मनुष्य जिस तरह से वृक्षों (Tree) की अंधाधुंध कटाई कर रहा है, वो पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि वन्यजीव (Wildlife) भोजन आदि की जरूरतों के लिए खुले आवासों अथवा मानव बस्तियों का रुख करने पर मजबूर हो गए हैं। उष्णकटिबंधीय वर्षा वन (ट्रॉपिकल रेन फॉरेस्ट) भी खतरे में है। उन्होंने कहा कि मानव के बढ़ते लालच ने सब कुछ नष्ट करने की ओर कदम बढ़ा लिया है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल ) पुनती श्रीधर (Punati Sridhar) ने कहा कि बतौर वनपालक लक्ष्मण की जिंदगी ग्रामीणों के इर्द-गिर्द भी घूमती थी। उन्होंने वन और ग्रामीणों के हितों से कभी समझौता नहीं किया। श्रीधर ने बताया कि वन विभाग में अपने पूरे कार्यकाल में उन्होंने वन को नुकसान पहुंचाने वाली कई परियोजनाओं को रोका। लक्ष्मण ने कहा कि इस पुस्तक में उन्होंने वन, वन्यजीव और संरक्षण सहित इनसे जुड़ी चुनौतियों पर अपना अनुभव साझा किया है। काम और जिंदगी से जुड़ी कई पहलुओं पर प्रकाश डाला है। पुस्तक लेखन कार्य में उनकी पत्नी ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
समारोह में मौजूद वन विशेषज्ञों की आम राय रही कि तस्करों, शिकारियों, राजनीतिज्ञों और लालची उद्योगपतियों के बीच काम करना आसान नहीं होता है। एक वन पालक को चौतरफे दबाव के बीच अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करना होता है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) संजय मोहन, लेखक व शिक्षाविद प्रो. डॉ. सी नागन्ना और अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (मूल्यांकन, कार्य योजना, शोध और प्रशिक्षण) पुनीत पाठक सहित कई मौजूदा व पूर्व वन अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।