सूत्रों के मुताबिक नए अध्यक्ष के चयन के लिए पार्टी के पर्यवेक्षकों ने वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के बाद चार नाम आलाकमान को सुझाए हैं। सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व इनमें से किसी नेता को प्रदेश संगठन की बागडोर सौंप सकता है। विधानसभा उपचुनाव में करारी हार के बाद सिद्धरामय्या ने विधायक दल के नेता और दिनेश गुंडूराव ने प्रदेश अध्यक्ष से इस्तीफा दे दिया था। नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति से पहले नेताओं की राय जानने के लिए आलाकमान ने दो पर्यवेक्षकों को भेजा था।
पिछले सप्ताह कई दिनों तक शहर में नेताओं से विचार-विमर्श करने के बाद पर्यवेक्षकों ने चार नेताओं के नाम सुझाए हैं। बताया जाता है कि पर्यवेक्षकों ने प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पूर्व मंत्री एमबी पाटिल और डीके शिवकुमार के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री केएच मुनियप्पा व राज्यसभा सदस्य बीके हरिप्रसाद के नाम सुझाए हैं।
बताया जाता है कि प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं के बीच किसी एक नाम पर सहमति नहीं होने के कारण पर्यवेक्षकों ने चारों नाम आलाकमान को भेजे हैं। आलाकमान किसी नतीजे पर पहुंचने पर से पहले एक बार प्रदेश के नेताओं से बातचीत करेगा। इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या सहित अन्य नेताओं को दो जनवरी को दिल्ली बुलाया गया है। अध्यक्ष पद के दावेदार सभी नेता लॉबिंग में जुटे हैं। पाटिल उत्तर कर्नाटक में पकड़ होने के कारण दावेदारी जता रहे हैं तो शिवकुमार पार्टी के लिए कार्यों के आधार पर दावेदारी कर रहे हैं।
सिद्धूरामय्या विरोधी खेमे से आने वाले मुनियप्पा व हरिप्रसाद लगातार तीन चुनावों में पार्टी की करारी शिकस्त कारण बदलाव की मांग को लेकर दावेदारी कर रहे हैं। हालांकि, पार्टी नेताओं का कहना है कि बदले राज्य में बदले राजनीतिक परिदृश्य में पार्टी जातीय समीकरणों को भी साधना चाहती है लेकिन यह आसान नहीं है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि संगठन में फेरबदल के बाद भी समीकरणों को साधने के लिए अध्यक्ष के साथ कार्यकारी अध्यक्ष का पद बनाया रखा जा सकता है।
मुनियप्पा और हरिप्रसाद वरिष्ठता के आधार पर दावा कर रहे हैं तो शिवकुमार और पाटिल के समर्थक जातीय समीकरणों का हवाला दे रहे हैं। दोनों ही नेताओं के समर्थक भाजपा और मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा की चुनौती का सामना करने के लिए अध्यक्ष पद देने की मांग कर रहे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि शिवकुमार को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की स्थिति में आलाकमान विधायक दल के नेता व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद को अलग-अलग कर सकती है। अभी तक दोनों पद सिद्धरामय्या के पास ही था।
पूर्व उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर और पूर्व मंत्री एचके पाटिल विपक्ष के नेता पद के दावेदार बताए जाते हैं लेकिन चर्चा है कि पार्टी आलाकमान दोनों पदों को अलग-अलग करने के बाद परमेश्वर को विधायक दल का नेता बना सकता है तो विपक्ष के नेता पद पर सिद्धरामय्या को बनाया रखा जा सकता है। परमेश्वर या पाटिल में से किसी एक नेता को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति में सिद्धू के इस्तीफे के बाद रिक्त स्थान पर नियुक्त किया जा सकता है। पार्टी नेताओं का कहना है कि दिल्ली में होने वाली बैठक के बाद ही स्थिति साफ होगी।