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गगनयान का उद्देश्य सिर्फ अंतरिक्ष यात्रियों को भेजना ही नहीं

locationबैंगलोरPublished: Jan 23, 2020 04:56:26 pm

Submitted by:

Saurabh Tiwari

मानव मिशन पर तीन दिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन
इसरो अध्यक्ष बोले, अंतरिक्ष में निरंतर मानव उपस्थिति के लिए अहम साबित होगा मिशन

गगनयान का उद्देश्य सिर्फ अंतरिक्ष यात्रियों को भेजना ही नहीं

गगनयान का उद्देश्य सिर्फ अंतरिक्ष यात्रियों को भेजना ही नहीं

बेंगलूरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के.शिवन ने कहा कि मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयानÓ मिशन का उद्देश्य सिर्फ अंतरिक्ष में भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को भेजना भर नहीं है। यह निरंतर अंतरिक्ष मानव उपस्थिति के लिए एक नया केंद्र स्थापित करने तथा वैश्विक साझेदारी का मार्ग प्रशस्त करने के लिहाज से काफी अहम साबित होगा।
‘मानव अंतरिक्ष उड़ान खोज वर्तमान चुनौतियां तथा भविष्य घटनाक्रमÓ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए शिवन ने कहा कि गगनयान मिशन एक फ्रेमवर्क तैयार करने में मील का पत्थर साबित होगा जिसके आधार पर दीर्घकालिक वैश्विक साझेदारियां बनेंगी। यह भविष्य में अंतरिक्ष में निरंतर मानव उपस्थित के ख्याल से काफी अहम है। उन्होंने कहा कि गगनयान मिशन तीन चरणों में पूरा होगा। दिसंबर 2020 और जून 2021 में दो मानवरहित मिशन और उसके बाद दिसंबर 2021 में मानवयुक्त अंतरिक्ष यान भेजे जाने की योजना है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी, नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों तथा उद्यमों से बात हो रही है कि कैसे वह मानवयुक्त अंतरिक्षयान पर साथ मिलकर काम कर सकती है और कैसे उनके अनुभव से सीखा जा सकता है। गगनयान इसरो के अंतर-ग्रहीय मिशन के दीर्घकालिक लक्ष्य में भी मदद करेगा। शिवन ने कहा कि इसरो ने महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों जैसे निचली कक्षा के लिए 10 टन की पेलोड क्षमता वाला रॉकेट (प्रक्षेपणयान) पहले ही विकसित कर लिया है और इसका प्रदर्शन किया है। अब मानव जीवन विज्ञान (लाइफ साइंसेज) और जीवन रक्षा प्रणाली विकसित कर रहे हैं। इसमें कई राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, अकादमिक संस्थानों, डीआरडीओ प्रयोगशालाओं, भारतीय वायुसेना, सीएसआईआर प्रयोगशालाओं को शामिल किया गया है। अंतरिक्ष यात्रियों का चयन कर लिया गया है और जल्द ही सामान्य रूप से अंतरिक्ष उड़ान प्रशिक्षण शुरू होगा। उन्होंने कहा कि भले ही तकनीक बदल गई है लेकिन आज भी चुनौतियां वहीं है।
अंतरिक्ष में लाइफ साइंसेज को समझने की जरूरत
भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर विजय राघवन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन ने एक बड़ी चुनौती पेश की है जिसके लिए वैश्विक समुदाय को एकजुट होने की जरूरत है जबकि अंतरिक्ष में वैश्विक साझेदारी ने राह दिखाई है कि यह हो सकता है। उन्होंने कहा कि भले ही अभी तक कई अंतरिक्षयात्री अंतरिक्ष में जा चुके हैं और वहां से लौट चुके हैं लेकिन लाइफ साइंसेज को सझने के लिए अभी और विश्वलेषणात्मक दृष्टिकोण रखने की जरूरत है।
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का मॉड्यूल
इस तीन संगोष्ठी में इसरो ने भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का मॉड्यूल भी प्रदर्शित किया है। इसके अलावा गगनयान मिशन का कू्र मॉड्यूल, कू्र इस्केप सिस्टम का मॉड्यूल और जीएसएलवी मार्क-3 का मॉड्यूल भी प्रदर्शित किया है जिससे यह मिशन लांच होगा।
प्रक्षेपण: अगले माह भेजा जाएगा जीआईसैट-1
इसरो जियो इमेजिंग उपग्रह जीआईसैट-1 (जियो स्टेशनरी हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजर सैटेलाइट-1) का प्रक्षेपण अगले माह करेगा। यह उपग्रह गगनयान मिशन के लिए काफी अहम होगा। इसरो अधिकारियों के मुताबिक इस उपग्रह के जरिए पृथ्वी की निचली कक्षा में गगनयान मिशन पर अंतरिक्ष से लगातार नजर रखी जा सकेगी। इस उपग्रह को जीएसएलवी मार्क-2 से श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच किया जाएगा। इसके लिए तैयारियां चल रही हैं। उपग्रह को श्रीहरिकोटा भेजा जा चुका है। इसरो इस श्रृंखला का एक और उपग्रह जीआईसैट-2 भी लांच करेगा।
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