रिसॉर्ट में ठहरे विधायकों को समझाया गया कि पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने पर वे अपने पद खो सकते हैं। इससे उनका राजनीतिक भविष्य भी खत्म हो सकता है। दलबदल विरोधी कानून के तहत संबंधित जनप्रतिनिधि के 6 वर्ष तक कोई चुनाव लडऩे पर प्रतिबंध भी लग सकता है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुंडूराव, समन्वय समिति के अध्यक्ष सिद्धरामय्या, उप मुख्यमंत्री डॉ. जी. परमेश्वर ने ऐसे विधायकों के साथ मंत्रणा कर पार्टी के फैसले का सम्मान करने की हिदायत दी है। सूत्रों के मुताबिक असंतुष्ट विधायकों को बताया गया है कि पार्टी के कारण ही वे विधानसभा के सदस्य बने हैं। ऐसे में संकट की घड़ी में पार्टी का साथ देना ही उनका दायित्व है।
सूत्रों के अनुसार विधायकों से कहा गया कि जिनके क्षेत्र में विकास संबंधी समस्याएं हैं तो उनका पार्टी के मंच पर ही समाधान संभव है। दूसरे दल में शामिल होने मात्र से समस्याओं का समाधान नहीं होगा। किसी पार्टी के प्रत्येक विधायक को मंत्री बनाना संभव नहीं है। विधायकों को भाजपा की बातों में आकर सरकार को गिराने के प्रयास को छोडक़र अपने-अपने क्षेत्र के विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। विधायकों से कहा गया है कि वे आम चुनाव पर ध्यान देते हुए अधिक से अधिक सीटें जीतने में पार्टी का सहयोग करें। भाजपा के कब्जे वाली 19 सीटें छीनने के लिए पार्टी का सहयोग करना चाहिए।
इस बीच, उप मुख्यमंत्री परमेश्वर ने बताया है कि रिसॉर्ट में विधायकों के साथ संवाद तथा अनौपचारिक चर्चा हुई है।