शोधकर्ताओं की टीम में शामिल और शोध पत्र का प्रकाशन करने वाले डॉ. वी.पी.एस. मूर्ति दिनवहि ने ‘पत्रिकाÓ को बताया कि यह प्रयोग वैसे मनुष्यों पर किया गया जिन्हे किसी भी प्रकार की मस्तिष्क-संबंधित स्वास्थ्य समस्या नहीं थी। शोध से यह स्पष्ट हुआ कि व्यक्ति के स्वस्थ होने की बजाय उम्र बढऩे का असर मस्तिष्क की गतिविधियों पर पड़ता है। यह प्रयोग 50 से 88 वर्ष के 227 स्वस्थ व्यक्तियों पर किया गया। इसके अलावा 20 से 49 साल के 46 युवाओं पर भी आंकड़े इकट्ठे किए गए।
मूर्ति ने बताया कि इसके लिए गैर-आक्रामक (नन-इनवैसिव) तरीका अपनाया गया और इलेक्ट्रो एन्सेफलाग्राफी (ईईजी) के जरिए ब्रेन मैपिंग की और मस्तिष्क की विद्युतीय गतिविधियों को दर्ज किया। यह प्रक्रिया ईसीजी जैसी ही है। लेकिन, जहां ईसीजी में अधिक से अधिक 12 चैनल उपयोग में लाए जाते हैं वहीं, इसमें खोपड़ी के ऊपर 64 इलेक्ट्रोड्स का प्रयोग किया गया। इस शोध में डॉ. मूर्ति के अलावा डॉ. सुप्रतिम रे, निम्हान्स के डॉ. नरेन राव, एम. एस. रामय्या अस्पताल के डॉ. महेन्द्र जे. और उनकी टीम शामिल थी।
मूर्ति ने बताया कि कुछ और शोध के बाद इस अध्ययन के आधार पर अल्जाइमर अथवा उम्र से संबंधित विकारों के लिए बायोमार्कर डिजाइन करने के अलावा लकवाग्रस्त रोगियों के लिए मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस अनुप्रयोगों का विकास हो सकेगा।