कट्टर हिंदुत्व का विरोध करने वाले कर्नाड के बाद दूसरा नाम गौरी का था। हालांकि, गौरी की हत्या के बाद राज्य सरकार ने कर्नाड सहित राज्य के दूसरे तर्कवादियों की सुरक्षा भी बढ़ा दी थी। गौरी मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआइटी) के एक दक्षिणपंथी से जुड़े अमोल काले के पास बरामद डायरी से यह राज खुला है।
डायरी में 34 लोगों के नाम दर्ज हैं, जिन्हें 2016 से हत्या के लिए चिह्नित किया गया था। गौरी की हत्या पिछले साल 5 सितम्बर को राजराजेश्वरी नगर स्थित उनके घर के बाहर ही गोली मारकर कर दी गई थी। हालांकि, इस डायरी मेें नामों की दो सूची है। पहली सूची अंग्रेजी में है जिसमें 8 लोगों के नाम हैं जबकि दूसरी सूची हिंदी में है और उसमें 26 लोगों के नाम हैं।
दूसरी सूची में पहले नंबर पर कर्नाड और दूसरे नंबर पर गौरी का नाम है। एसआइटी के एक अधिकारी ने कहा कि यह कट्टर हिंदू समूह की ओर से संभावित निशानों को लेकर तैयार सूची है। हम इस मामले की जांच कर रहे हैं। यह डायरी एसआइटी को दावणगेरे से मई के तीसरे सप्ताह में गिरफ्तार एक आरोपी के पास से मिली है।
एसआइटी को संदेह है कि गौरी हत्याकांड को अंजाम देने वाले समूह में इस आरोपी की प्रमुख भूमिका रही है। सूची में राजनीतिज्ञ व लेखिका बी टी ललिता नायक, अंध विश्वास का विरोध करने वाले निदुमामिडी मठ के वीरभद्र चन्नमल्ला स्वामी, तर्कवादी सी एस द्वारकानाथ, प्रो. के. एस. भगवान का नाम भी इसमें शामिल है। स्वामी का नाम डायरी में दर्ज अंग्रेजी की सूची में सबसे अंत में 8वें नंबर पर है।
दूसरी सूची डायरी में 22 अगस्त 2016 को बनाई गई। जब पत्रकारों से कर्नाड से डायरी की बरामदगी और उसमें अपना नाम होने पर कर्नाड की प्रतिक्रिया चाहती तो कर्नाड ने कहा कि उन्हें इन चीजों में कोई दिलचस्पी नहीं है। एसआइटी का मानना है कि गौरी की हत्या की योजना करीब 8 महीने पहले जून 2017 में बनाई गई। एसआइटी की जांच में खुलासा हुआ है कि काले ने ही विजयपुर के परशुराम वाघमारे को इस योजना से जोड़ा था और उसके प्रशिक्षण भी दिलवाया था। एसआइटी को शक है कि परशुराम ने ही गौरी पर गोली चलाई थी।
वारदात में इस्तेमाल बाइक की तलाश
दस आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद एसआइटी के लिए इनके खिलाफ परिस्थितिजन्य साक्ष्य जुटाना सबसे बड़ी चुनौती बन गई ताकि ये आरोपी अदालत से ठोस सबूतों के आधार पर बरी नहीं हो जाएं। एसआइटी अभी तक वारदात में इस्तेमाल किए गए हथियार या बाइक को बरामद नहीं कर पाई है।
दस आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद एसआइटी के लिए इनके खिलाफ परिस्थितिजन्य साक्ष्य जुटाना सबसे बड़ी चुनौती बन गई ताकि ये आरोपी अदालत से ठोस सबूतों के आधार पर बरी नहीं हो जाएं। एसआइटी अभी तक वारदात में इस्तेमाल किए गए हथियार या बाइक को बरामद नहीं कर पाई है।
सूत्रों के मुताबिक तीन अन्य तर्कवादियों की हत्या के मामले में भी एक समान हथियार के इस्तेमाल की बात सामने आने के बाद हत्यारों ने बंदूक को नष्ट कर दिया लेकिन पुलिस अभी तक उस बाइक का पता नहीं लगा पाई है जिसका इस्तेमाल वारदात के अंजाम देने वाले अपराधियों ने भागने के लिए किया था। पूछताछ के दौरान गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि उनलोगों ने हथियार व बाइक नष्ट कर दी।
एसआइटी टीम आरोपियों को उन स्थलों पर भी ले गई जहां दोनों चीजें नष्ट किए जाने की बात कही गई लेकिन अब तक कोई ठोस सबूत या जानकारी नहीं मिली है। एसआइटी इस मामले में फरार दो और आरोपियों को तलाश रही है जो वारदात के समय गौरी के घर के बाहर इंतजार कर रहे थे।