एसआइटी की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि वाघमारे गौरी की हत्या करने से पहले करीब एक सप्ताह से बेंगलूरु में ही था। गौरी लंकेश के घर और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से भी यह बात साफ है। वह अपने साथी के साथ बाइक की पिछली सीट पर बैठकर वहां से कई बार निकलता दिखा। जांचकर्ताओं को यह भी पता चला है कि वह हत्या के बाद कर्नाटक से भाग गया था और मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में छिपा रहा। जब पुलिस ने मामले में पहली चार्जशीट दाखिल की, तब वह पहली बार कर्नाटक लौटा था।
पुरुषोत्तम वाघमारे के पिता अशोक वाघमारे ने अपने बेटे की गिरफ्तारी की खबर सुनने के बाद उसे निर्दोष करार देते हुए आरोप लगाया कि पुलिस ने उसे मारपीट कर कबूलनामा देने को मजबूर किया होगा। बर्तन बेचने का धंधा करने वाले अशोक ने अपने बेटे के खिलाफ लगे सभी आरोपों को नकारते हुए कहा कि उनका बेटा धार्मिक प्रवृत्ति का है और वह कभी अपराधी नहीं हो सकता। न्यायालय में सुनवाई होने पर सच्चाई सामने आ जाएगी।
कॉमर्स के स्नातक पुरुषोत्तम वाघमारे को इससे पहले साल 2012 में सिंदड़ी पुलिस ने उस वक्त पाकिस्तान का झंडा फहराने के आरोप में भी गिरफ्तार किया था। हमें न्याय नहीं मिला : उमादेवी
उधर, प्रो. एमएन कलबुर्गी के परिजनों ने गौरी लंकेश हत्याकांड में हुई इस गिरफ्तारी से अनभिज्ञता जताते हुए कहा है कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है और वे अभी भी प्रो कलबुर्गी के हत्यारों को गिरफ्तार किए जाने का इंतजार कर रहे हैं। प्रो. कलबुर्गी की पत्नी उमादेवी ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि कौन पकड़ा गया है और उनके पति की हत्या के मामले की कौन जाँच कर रहा है। उन्होंने कहा कि किसी ने उनसे संपर्क नहीं किया और वे आज भी न्याय की प्रतीक्षा में हैं। उमादेवी ने कहा कि उनके पति की हत्या हुए तीन साल हो गए। अदालत की शरण में जाने के बावजूद उन्हें न्याय नहीं मिला। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब नई सरकार आई है तो शायद इस मामले में भी कोई नया मोड़ आएगा।