गौरी हत्याकांड … उलझी जांच, मिलान के लिए खोखे मिलने का इंतजार
बैंगलोरPublished: Jan 05, 2018 12:57:26 am
बेंगलूरु, मुंबई और अहमदाबाद की विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं में हथियार को लेकर असहमति, एसआईटी को नहीं मिल रहे दाभोलकर, पंसारे और कलबुर्गी मामले के खोखे
बेंगलूरु. पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या के मामले की गुत्थी सुलझाने में चार महीने बाद भी विशेष जांच दल (एसआईटी) को सफलता नहीं मिल पाई है। गौरी से पहले तीन तर्कवादियों- नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पंसारे और प्रो एम एम कलबुर्गी की हत्या में इस्तेमाल हुए हथियार और बरामद खोखे को लेकर देश के तीन प्रमुख विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं के बीच असहमति के कारण एसआईटी गौरी के मामले में मौके से बरामद खोखे का मिलान बाकी तीन मामलों के खोखों से नहीं कर पा रही है। खोखों का मिलान नहीं होने के कारण एसआईटी कुछ पहलुओं पर अपनी जांच को आगे नहीं बढ़ा पा रही है।
गौरी की हत्या पिछले साल 5 सितम्बर को राजराजेश्वरी नगर स्थित उनके घर के बाहर ही अज्ञात अपराधियों ने गोली मारकर कर दी थी। इसके अगले ही दिन राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। पिछले चार महीनों के दौरान सरकार और एसआईटी पर मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए काफी दबाव रहा लेकिन एसआईटी को अब तक कोई ठोस सुराग नहीं मिल पाया है। बेंगलूरु विधि विज्ञान प्रयोगशाला ने सितम्बर में दी गई रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की थी कि गौरी पर गोली 7.65 एमएम के देशी कट्टे से चलाई गई थी।
मामले की जांच से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि गौरी की हत्या को भी बाकी तीन हस्तियों की हत्या की तरह ही अंजाम दिया गया है लेकिन खोखों का मिलान नहीं होने के कारण इस बात को साबित करने के लिए कोई निर्णायक सबूत नहीं मिल पा रहा है। दाभोलकर की हत्या 2013, पंसारे और कलबुर्गी की हत्या 2015 में हुई थी। दाभोलकर और पंसारे का मामला महाराष्ट्र का है तो कलबुर्गी का मामला राज्य के ही धारवाड़ का। तीनों ही मामलों में मौके से बरामद खोखे को लेकर बेंगलूरु, मुंंबई और अहमदाबाद विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं की रिपोर्ट अलग-अलग थी और तीनों प्रयोगशालाओं के बीच असहमति से उपजा विवाद खत्म नहीं होने के कारण एसआईटी को मिलान के लिए वे खोखे नहीं मिल पा रहे हैं।
वर्ष 2015 में तीनों मामलों में मौके से मिले खोखे पर प्रयोगशालाओं की रिपोर्ट में इस बात के संकेत मिले थे कि तीनों मामलों में एक ही समूह की संलिप्तता हो सकती है। हालांकि, मुंबई की प्रयोगशाला की रिपोर्ट ने इसकी पुष्टि नहीं की।
एसआईटी के एक अधिकारी ने कहा कि बेंगलूरु की प्रयोगशाला के पास कलबुर्गी मामले में बरामद खोखे की तस्वीर है लेकिन कानून के मुताबिक हमें ३६० डिग्री का मिलान करने के लिए असली खोखे की जरुरत है, तभी उसे सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा।
अंधेरे में तीर : डिजिटल तकनीकी भी मददगार नहीं
गौरी हत्याकांड में कई बिंदुओं पर पुलिस की जांच अटकी हुई है। पुलिस ने गौरी के घर और आसपास के इलाकों में लगे सीसीटीवी कैमरों से जो फुटेज जुटाए हैं उनसे भी जांच में कोई ज्यादा मदद नहीं मिली। पुलिस को सिर्फ इतना पता लग पाया कि वारदात से पहले दो मोटरसाइकिल सवार लोगों ने गौरी के घर की रैकी की थी। मोटरसाइकिल के मॉडल के आधार पर भी एसआईटी ने जांच को आगे बढ़ाने की कोशिश की लेकिन उसे ५०० से ज्यादा ऐसे मोटरसाइकिलों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई। गौरी के घर के प्रवेश द्वार के ऊपर लगे सीसीटीवी कैमरे में वारदात कैद हुई है लेकिन उससे भी जांच में ज्यादा मदद नहीं मिल सकी।
जांच से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि हमें वारदात को अंजाम देने वाले अपराधियों को लेकर कई चीजें पता हैं लेकिन उससे जांच को कोई ठोस दिशा नहीं मिल रही है। उक्त अधिकारी ने कहा कि अपराधी सिर्फ 5 सेंकेंड के लिए सीसीटीवी फुटेज में दिखा है जिसमें से 2 सेकेंड में वह गोली चलाता है और अगले २ सेकेंड में वह मौके से फरार हो जाता है। इस फुटेज में मोटरसाइकिल का मॉडल साफ नहीं दिखता है और 200 मीटर की तस्वीर भी स्पष्ट नहीं है। एसआईटी ने इलाके में 1 से 5 सितम्बर इलाके से हुए ७ करोड़ मोबाइल कॉल का ब्यौरा भी जुटाया लेकिन अब तक सिर्फ 2 करोड़ कॉल की ही जांच हो पाई है। एक अधिकारी ने कहा कि जिस तरह पेशेवर अंदाज में वारदात को अंजाम दिया गया उससे इस बात की संभावना कम है कि रैकी या वारदात के दौरान अपराधियों ने मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया हो। एसआईटी ने राज्य में हथियारों का अवैध करोबार करने वालों पर भी नकेल कसी लेकिन उससे भी ज्यादा सुराग नहीं मिल पाया। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि आज के दौर में अधिकार उलझे मामले डिजिटल सबूतों- कॉल रिकार्ड, मोबाइल फोन टावरों के आंकड़े या सीसीटीवी फुटेज आदि से सुलझ जाते हैं लेकिन इस मामले में ऐसी तरकीबों से मदद नहीं मिली और अब परंपरागत अंदाज में ही जांच आगे बढ़ाने की कोशिश हो रही है। एसआईटी को उम्मीद है कि प्रयोगशालाओं के बीच विवाद जल्द सुलझ जाएगा और उसे विश्लेषण के लिए खोखे मिल सकेंगे।