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आम बजट से उम्मीदें : महिलाएं बोलीं, जीएसटी मुक्त हो खाद्यान्न

locationबैंगलोरPublished: Jan 27, 2020 07:14:49 pm

Submitted by:

Saurabh Tiwari

शिक्षा, चिकित्सा सस्ती हो तो आमजन को मिले राहत

आम बजट से उम्मीदें : महिलाएं बोलीं, जीएसटी मुक्त हो खाद्यान्न

आम बजट से उम्मीदें : महिलाएं बोलीं, जीएसटी मुक्त हो खाद्यान्न

बेंगलूरु. केन्द्र सरकार के आगामी बजट में शिक्षा, चिकित्सा व खाद्यान पर करों का बोझ कम करने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। शनिवार को राजस्थान पत्रिका की टीम चामराजपेट पहुंची जहां जिनेश्वर सभागार में महिलाओं से आम बजट से उम्मीदों पर उनकी राय जानी तो महिलाओं ने शिक्षा व्यवसाय पर लगाम कसने की मांग की। महिलाओं का कहना था कि विद्यालय अब दुकान बनते जा रहे हैं। प्ले स्कूल के बच्चों से भी लाखों में फीस ली जाती है। इसके अलावा सरकार को खाद्यान को कर मुक्त करना चाहिए। करों के बोझ के चलते खाद्यान के दाम आसमान छू रहे हैं और व्यक्ति चाहकर भी अच्छा खाना नहीं खा पा रहा है। वहीं निजी चिकित्सालयों पर भी सरकार को नजर रखने के लिए इस बजट में कोई पॉलिसी लानी चाहिए ताकि मरीज को लूटा नहीं जा सके।
मोनिका रूपचंद कुमट ने कहा कि बजट एक अहम मुद्दा होता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार तीनों जीवन के आधार हैं। यदि इन पर ही बजट गड़बड़ाया तो हो जाएगा बंटाधार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा आज इतनी महंगी हो गई है कि शिक्षा का बजट बढ़ता जा रहा है। यदि सरकार महिलाओं को आत्म निर्भर बनाना चाहती है को उनको उद्योग या व्यवसाय करने के लिए सब्सिडी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार जो भी नई योजनाएं ला रही है उसका आमजन को कोई फायदा नहीं हो रहा है। उन्होंने केन्द्र सरकार की आरोग्य योजना को कठघरे में खड़े करते हुए कहा कि चिकित्सालयों में उस पर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है। मरीज व उसके परिजनों को इधर से उधर दौड़ाया जाता है। गृहणियों के नाते सोना पर कस्टम ड्यूटी हटनी चाहिए। महंगाई का स्तर कम होना चाहिए। मातृछाया की ट्रस्टी पुष्पा बाफना ने कहा कि महिलाओं के लिए उपयोगी, खानपान की वस्तुओं के दाम कम हों। विद्यालयों में बच्चों की शिक्षा पर लगने वाली फीस में कमी आए। इसके अलावा महिला यदि कोई व्यवसाय करना चाहे तो उसे सरकार की ओर से हरसंभव सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए। ललिता नागौरी ने कहा कि देश में विकास भले की धीमी रफ्तार से चल रहा हो, लेकिन प्राथमिक शिक्षा विदेशों से भी महंगी हो गई है। साधु मार्गी महिला जैन संघ बेंगलूरु की अध्यक्ष मंजू दिनेश देसरला ने कहा कि विद्यालय व महाविद्यालय में शिक्षा का स्तर सुधारा जाना चाहिए वहीं फीस में एकरूपता होनी चाहिए। हर मां-बाप का सपना होता है कि उसका बच्चा अच्छे स्कूल में पढ़े मगर शिक्षा के व्यवसायीकरण के चलते शिक्षा दिलाना अब आसान नहीं रहा है।
सिवांची जैन संघ की अध्यक्ष रेखा छाजेड़ ने कहा कि शिक्षा एक अत्याचार के रूप में सामने आ रही है। सरकार को बजट में शिक्षा व चिकित्सा पर विशेष ध्यान देना चाहिए। आडगोडी तेरापंथ सभा भवन की अध्यक्ष व एडवोकेट स्वर्णनन्दा पोखरना ने कहा कि सरकार को महिला चिकित्सा शिक्षा व रोजगार की दिशा में ठोस घोषणाएं इस बजट में करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार योजनाएं तो बहुत बनाती है लेकिन उन पर अमल सही तरीके से नहीं होने के कारण पीडि़त को पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। हम जैन संस्था की संस्थापक अध्यक्ष मंजू लुंकड़ ने कहा कि ऑर्गेनिक फूड को जीएसटी से बाहर करने की मांग की। यदि आमजन अच्छा खाना खाएगा तो उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा।
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