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जनरल अस्पतालों पर बढ़ा गैर-कोविड मरीजों का बोझ

locationबैंगलोरPublished: May 29, 2020 02:01:48 am

Submitted by:

Nikhil Kumar

– निम्हांस और जयदेव जैसे अस्पताल मरीजों को रेफर करने पर मजबूर

Heart diseases will be investigated from eye

आंख से लेकर हृदय रोगों की होगी जांच

बेंगलूरु. कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के बीच शहर के जनरल अस्पतालों पर गैर-कोविड (non-COVID) मरीजों का बोझ बढ़ा है। विशेष अस्पताल मरीजों को जनरल अस्पताल रेफर करने पर मजबूर हंै। इनकी मानें तो शहर के ज्यादातर बड़े सरकारी अस्पतालों को कोविड-19 अस्पताल में तब्दील करने से यह हालात पैदा हुए हैं। कई विशेषज्ञ सरकार व स्वास्थ्य महकमे को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। पूरा ध्यान कोरोना के मरीजों पर निर्भर रहने के कारण अन्य मरीजों की अनदेखी हो रही है।

शिवाजी नगर स्थित बॉरिंग एंड लेडी कर्जन अस्पताल व इंदिरानगर स्थित सर सी. वी. रमन जनरल अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाया गया है। विक्टोरिया के ट्रॉमा वार्ड में पहले से ही केवल कोरोना संक्रमितों का उपचार हो रहा है। विक्टोरिया स्थित प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना अस्पताल में भी गैर-कोविड मरीजों को उपचार नहीं मिल पर रहा है।

सीमित स्वास्थ्य सुविधाओं वाले केसी जनरल सरकारी अस्पताल व जयनगर जनरल अस्पताल मरीजों के बोझ तले दब गया है। कार्डिएक व न्यूरो रोग विभाग नहीं होने के बावजूद अन्य निजी व सरकारी अस्पताल मरीजों को इन्हीं दो अस्पतालों में रेफर कर रहे हैं। ऐसे मरीजों के लिए दोनों अस्पतालों में केवल प्राथमिक उपचार व देखभाल की व्यवस्था है। इन अस्पतालों के चिकित्सकों की मानें तो राष्ट्रीय मानसिक आरोग्य व स्नायु विज्ञान संस्थान (NIMHANS) व जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवैस्क्यूलर साइंसेस एंड रिसर्च से भी मरीजों को रेफर किया जा रहा है।

जयनगर जनरल अस्पताल के एक चिकित्सक ने बताया कि हृदय व न्यूरों के उन्हीं मरीजों को भर्ती किया जा रहा है जिन्हें प्राथमिक चिकित्सा की जरूरत हो या फिर शुरुआती उपचार के बाद जिन्हें विशेषज्ञ अस्पतालों ने मरीज के परिजनों से इजाजत पत्र लेने के बाद रेफर किया हो। पत्र में परिजन स्वीकृति देते हैं कि न्यूरो व हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं होने के बावजूद वे अस्पताल में मरीज का उपचार कराना चाहते हैंं और उपलब्ध चिकित्सक मरीज का उपचार करेंगे। चिकित्सकों का कहना है कि कानूनी सुरक्षा के लिए उनके लिए स्वीकृति पत्र लेना आवश्यक है क्योंकि इससे पहले कुछ ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जब मरीज की हालत खराब होने पर परिजनों ने चिकित्सकों, नर्सों व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को निशाना बनाया।

जयनगर जनरल अस्पताल के एक अन्य चिकित्सक ने बताया कि अस्पताल में सात वेंटिलेटर हैं पर दो खराब हैं। अस्पताल में हर दिन करीब 10 आपात मामले आते हैं। कुछ मामले निम्हांस से भी रेफर किए गए होते हैं। हृदयघात (Heart Attack) से लेकर स्ट्रोक (Stroke) तक के मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्ट नहीं हैं।

के. सी. जनरल अस्पताल की हालत भी अच्छी नहीं है। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बी. आर. वेंकेटेशय्या ने बताया कि अस्पताल के चार वेंटिलेटर कभी खाली नहीं होते हैं। अस्पताल में हर दिन 10-15 आपात मामले आते हैं। अस्पताल पर मरीजों का बोझ बढ़ा है जिसकी जानकारी अधिकारियों को दी जा चुकी है।

निम्हांस के कुलसचिव डॉ. सी. शेखर का कहना है कि अस्पताल में क्षमता से ज्यादा मरीजों का उपचार संभव नहीं है। मजबूरन मरीजों को जनरल अस्पताल रेफर करना पड़ रहा है। लेकिन प्राथमिक उपचार के बाद ही मरीज को रेफर करते हैं। अन्य जिलों से भी मरीज निम्हांस भेजे जा रहे हैं क्योंकि वहां के मुख्य अस्पतालों को कोविड-19 अस्पताल में तब्दील किया गया है।

निम्हांस के एक अन्य चिकित्सक के अनुसार हर दिन 85-90 मरीज आते हैं। इनमें से ज्यादातर मामले स्ट्रोक, न्यूरो व सिर में गंभीर चोट के होते हैं। वेंटीलेटर खाली नहीं होने और आइसीयू में भर्ती मरीजों को अन्य वार्डों में शिफ्ट नहीं कर पाने की स्थिति में मरीज को अन्य अस्पताल भेजने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

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