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जीते जी शांति की दौलत कमा कर जाएं

locationबैंगलोरPublished: Feb 18, 2018 10:48:42 pm

राष्ट्र संत ललितप्रभ महाराज ने कहा कि किसी अमीर व्यक्ति की मृत्यु के पीछे जब श्रद्धांजलि सभा होती

Nation St. Lalitprb

चित्रदुर्ग. राष्ट्र संत ललितप्रभ महाराज ने कहा कि किसी अमीर व्यक्ति की मृत्यु के पीछे जब श्रद्धांजलि सभा होती है तो लोग भगवान से यह प्रार्थना नहीं करते कि उसे अच्छी पत्नी, महंगी कार, बड़ा बंगला अथवा बहुत सारा धन मिले बल्कि उसके लिए शांति की प्रार्थना करते हैं क्योंकि उसने सब कुछ कमाया पर मन की शांति कमा न पाया। उन्होंने कहा कि हम ऐसा जीवन जीकर जाएं कि हमारे पीछे लोगों को शांति की प्रार्थना न करनी पड़े वरन् हम स्वयं जीते जी शांति की दौलत कमा कर जाएं।


संतप्रवर शनिवार को जैन टेंपल रोड स्थित श्री गौडी पाश्र्व भवन में आयोजित कार्यक्रम में श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जीवन में कभी ऐसी नौबत आए कि एक पलड़े में पांच करोड़ हो और दूसरे पलड़े में मन की शांति हो, पर किसी एक का चयन करना हो तो पांच करोड़ लेने की बेवकूफी मत करना।

झट से मन की शांति का चयन करना क्योंकि जिसके पास मन की शांति है वह करोड़पति है, जिसके पास मन की शांति नहीं समझो वह करोड़पति होते हुए भी रोडपति है। उन्होंने कहा कि मन की शांति जीवन की सबसे बड़ी दौलत है। वह करोड़पताई भी व्यर्थ है जिसके लिए सुख की रोटी और चैन की नींद भी चली जाती है।


उन्होंने कहा कि मन शांत है तो सूखी दाल-रोटी भी अच्छी लगती है और मन अशांत है तो छप्पन भोग भी फीके नजर आते हैं। अगर किसी व्यक्ति के पास महंगी कार हो, सुंदर पत्नी हो पर मन अशांत हो तो समझो वह दुखी है, वहीं दूसरे व्यक्ति के पास चलाने को केवल साइकिल हो, सांवली पत्नी हो, पर मन शांत हो तो समझना वह सबसे सुखी है। उन्होंने कहा कि हम किसी बड़े बंगले में रहते हैं, पर घर में रोज-रोज कलह होती है तो समझना हम नरक में जी रहे हैं। वहीं हम किसी झौंपड़ी में रहते हैं, पर उसमें भी शांति है तो वह घर-घर नहीं हमारे लिए जीता-जागता स्वर्ग है।


शांति से पहले मन की शुद्धि करें
संत ने कहा कि मन को शांत करें उससे पहले जरूरी है हम मन को शुद्ध करें। शुद्ध मन वाला चाहे अपरिचित ही क्यों न हो, उससे रात को भी खतरा नहीं है, पर अशुद्ध मन वाला चाहे परिचित भी क्यों न हो उससे तो दिन में भी सावधान रहने की जरूरत है।अध्यक्ष प्रेम नाहर ने आभार जताया। कार्यक्रम में सकल जैन श्री संघ के अनेक सदस्य उपस्थित थे।


राष्ट्रसंतों ने किया विहार
राष्ट्र संत ने पाश्र्व भवन में महामांगलिक देकर विहार किया। वे बीजापुर, कोलहल, हेबलू, अनागोडू, कोगनूर होते हुए 20 को दावणगेरे पहुंचेंगे। वहां उनके तीन दिवसीय ज्ञान गंगा महोत्सव का आयोजन होगा।

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