scriptईश्वर का निवास मन में : आचार्य देवेंद्रसागर | God's abode in mind: Acharya Devendrasagar | Patrika News
बैंगलोर

ईश्वर का निवास मन में : आचार्य देवेंद्रसागर

राजाजीनगर में प्रवचन

बैंगलोरSep 23, 2020 / 02:26 pm

Santosh kumar Pandey

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बेंगलूरु. आचार्य देवेंद्रसागर ने राजाजीनगर में प्रवचन में कहा कि मनुष्य जो ठान लेता है उसे प्राप्त कर लेता है। प्रत्येक संकल्प का आरंभ ‘इच्छा’ से होता है। मन हमारे समस्त विचारों, कामनाओं का कार्यक्षेत्र है और हमेशा उसमें गृहयुद्ध की स्थिति बनी होती है।
मन को निश्चित तौर पर नहीं पता है, उसे क्या चाहिए। एक अंदेशा है कि व्यक्ति की कामनाएं पूर्ण हो जाएं तो उसका मन उसके नियंत्रण में आ जाएगा और उसमें चल रहे कोहराम पर विराम लग जाएगा। इसी उद्देश्य से हम सब तीर्थ स्थानों की यात्रा पर जाते हैं और वहां जाकर अपनी कामनाओं की अर्जी लगाते हैं।
कामनाएं मनुष्य के जीवन का आधार

आचार्य ने कहा कि कामनाएं मनुष्य के जीवन का आधार हैं। व्यापक नजरिए से देखें तो प्रार्थनाओं एवं मंत्रों में कामनाओं की पुनरावृत्ति मन की ऊर्जा को दिशा देने के समान है। यह तो सब मानते हैं कि ईश्वर का निवास मन में है। प्रार्थनाएं, मंत्र पाठ एवं स्तुतियां ईश्वर के समीप जाने का माध्यम हैं। कामनाएं मन में उठने वाली वे विचार तरंगें हैं, जो भौतिकी के सिद्धांत की तरह सुसुप्त ऊर्जा को गतिशील ऊर्जा में बदलती हैं। प्रार्थनाओं में कामनाओं को दुहराना हमारे मन:शक्ति को दृढ़ करता है।

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