इन बदलावों के बाद अब आवासीय भवनों, शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल या अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को बिना ‘ओसी’ दिखाए बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही केइआरसी ने बिजली आपूर्ति शर्तों को अधिसूचित कर दिया है।
ऊर्जा मंत्री वी सुनील कुमार ने कहा ‘हमने कांग्रेस काल के उस नियम में संशोधन किया है, जिससे बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) सीमा में वाणिज्यिक और घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को परेशान किया जा रहा है। बीबीएमपी सीमा में पांच लाख से अधिक ऐसे परिवार ऐसे हैं जो ‘ओसी-नियम’ के कारण अंधेरे में रहे। हमारी सरकार का मिशन सभी को बिजली देना है।’
समझ से परे था नियम: ऊर्जा मंत्री वी सुनील कुमार ने कहा कि उन्हें यह समझ में नहीं आया कि पिछली कांग्रेस सरकार ने ‘ओसी-मस्ट’ नियम क्यों बनाया। यह बिजली कानून की मूल भावना के खिलाफ है। नगर पालिका और शहरी विकास प्राधिकरण किसी भवन को इस्तेमाल के लायक घोषित करने के लिए ‘ओसी’ जारी करते हैं। ‘ओसी’ नहीं होने का साफ मतलब है कि भवन निर्माण में कानून की धज्जियां उड़ाई गईं।
सुनील कुमार ने इस मुद्दे को मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के समक्ष उठाया और सरकार ने केइआरसी को यह नियम बदलने के लिए कहा। प्रस्ताव लाया गया और केइआरसी ने मसौदे को सार्वजनिक कर सुझाव एवं आपत्तियां आमंत्रित की। बदलाव के बाद अंतिम अधिसूचना आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित कर दी गई है।
दरअसल, पिछली कांग्रेस सरकार में ऊर्जा रहे मंत्री डीके शिवकुमार ने भवन निर्माण से संबंधित उपनियमों के उल्लंघन और स्वीकृत भवन निर्माण योजना में बदलाव का हवाला देते हुए बिना ‘ओसी’ भवनों को बिजली कनेक्शन नहीं देने का निर्देश दिया था।
दरअसल, पिछली कांग्रेस सरकार में ऊर्जा रहे मंत्री डीके शिवकुमार ने भवन निर्माण से संबंधित उपनियमों के उल्लंघन और स्वीकृत भवन निर्माण योजना में बदलाव का हवाला देते हुए बिना ‘ओसी’ भवनों को बिजली कनेक्शन नहीं देने का निर्देश दिया था।
उन्होंने ‘ओसी-मस्ट’ नियम बनाया जिससे लाखों मकान मालिक बीबीएमपी और ऊर्जा विभाग के खिलाफ नाराजगी जता रहे थे। बढ़ते असंतोष के बीच बेंगलूरु शहर के भाजपा विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल ऊर्जा मंत्री से मिला जिसके बाद इस नियम को हटाने की कवायद शुरू हुई।