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इंफोसिस फांउडेशन की मदद से बने अस्पताल को सरकार नहीं दे पाई डॉक्टर

locationबैंगलोरPublished: Oct 25, 2020 06:54:23 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

नए कोविड अस्पताल को नहीं मिले चिकित्सक
रेजिडेंट, पीजी और फैलोशिप विद्यार्थियों पर दारोमदार

इंफोसिस फांउडेशन की मदद से बने अस्पताल को सरकार नहीं दे पाई डॉक्टर

इंफोसिस फांउडेशन की मदद से बने अस्पताल को सरकार नहीं दे पाई डॉक्टर

बेंगलूरु. इंफोसिस फाउंडेशन के सहयोग से शिवाजी नगर में सभी सुविधाओं से लैस कोविड-19 अस्पताल में अब तक चिकित्सकों की नियुक्तियां नहीं हो सकी हैं।

अस्पताल में गिनती के चिकित्सक हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जुलाई में चिकित्सकों व विशेषज्ञों की नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे लेकिन अब तक चिकित्सक नहीं मिले हैं।
आवेदकों के अभाव में नियुक्ति प्रक्रिया लंबित है। मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा ने 26 अगस्त को ब्रॉड-वे रोड स्थित अस्पताल का उद्घाटन किया। 100 बिस्तर वाले अस्पताल के निर्माण में करीब चार माह लगे।

बेंगलूरु मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (बीएमसीआरआइ) के रेजिडेंट चिकित्सक, स्नातकोत्तर (पीजी) के विद्यार्थी और फैलेशिप विद्यार्थी किसी तरह अस्पताल चला रहे हैं।
करीब 73 पदों पर नियुक्ति होनी है। लेकिन सुरक्षा गार्ड और नर्सिंग कर्मचारी को छोड़कर किसी की भी नियुक्ति नहीं हो सकी है।

बॉरिंग एंड लेडी कर्जन अस्पताल के डीन डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि प्रतिमाह 1.2 लाख वेतन देने के बावजूद चिकित्सक दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
मजबूरी में बीएमसीआरआइ से मदद लेनी पड़ी। 16 पीजी, 40 रेजिडेंट और 14 फैलोशिप विद्यार्थी अस्पताल चला रहे हैं।

कर्नाटक रेजीडेंट चिकित्सक संघ (केएआरडी) ने चिकित्सा शिक्षा विभाग पर रेजीडेंट चिकित्सकों के साथ ज्यादती का आरोप लगाया है। केएआरडी परिधीय अस्पतालों में कोविड ड्यूटी के खिलाफ है।

बलि का बकरा बनाने के आरोप

केएआरडी के अध्यक्ष डॉ. रमेश एस. एम. ने कहा कि शिवाजी नगर स्थित कोविड अस्पताल के लिए 70 रेजिडेंट चिकित्सकों की मांग थी।

विरोध के बाद 16 चिकित्सकों की ड्यूटी लगी। उन्होंने कहा कि करीब चार माह से अस्पताल शुरू करने की तैयारी हो रही थी।
इसके बावजूद प्रदेश सरकार और चिकित्सा शिक्षा विभाग ने नियुक्ति प्रक्रिया पर विशेष ध्यान नहीं दिया। बीएमसीआरआइ में पहले से ही चिकित्सकों की कमी है।

रेजिडेंट चिकित्सक पहले से ही विक्टोरिया, बॉरिंग और राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ चेस्ट डिसीजेज में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। रेजिडेंट चिकित्सकों को बलि का बकरा बना दिया गया है।
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