कुमारस्वामी ने विधानसौधा के सम्मेलन सभागार में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के सम्मेलन में मीडिया पर प्रहार करते किया और कहा कि ऐसी अफवाह उड़ाई जा रही हैं कि राज्य सरकार लोकसभा चुनावों के बाद ऋण माफी की राशि किसानों के बैंक खातों से वापस ले रही है। इस तरह की खबरें सत्य से परे हैं, क्योंकि सरकार ने ऋण माफी की रकम वापस नहीं ली है। सच्चाई यह है कि राष्ट्रीयकृत बैंकों ने ऋण के वर्गीकरण करते समय गलतियां की हैं। इसी वजह से यादगीर जिले के 200 किसानों के खातों से ऋण की रकम वापस चली गई है। बैंकों की गलती से 13,988 किसानों की ऋण माफी की रकम विवाद में फंस गई है। उन्होंने कहा कि इन खामियों को दूर करने के लिए 14 जून को देपहर 2.30 बजे बैंकर्स की बैठक बुलाई गई है।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि सच्चाई जाने बिना कुछ मीडिया संस्थान लोगों को गुमराह कर रहे हैं। ऐसे संस्थान यह तय कर लें कि वे राज्य का विकास चाहते हैं या उसे बरबाद करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंक केंद्र सरकार के अधीन हैं। प्रधानमंत्री की तारीफों के पुल बांधने वाले राष्ट्रीयकृत बैंकों की गलतियों पर सवाल क्यों नहीं पूछ रहे हैं?
कुमारस्वामी ने कहा कि राज्य सरकार ऋण माफी योजना को लेकर पूर्णत: प्रतिबद्ध है और चुनावों का इससे कोई संबंध नहीं है। 2 साल के भीतर किसानों का 25 हजार करोड़ रुपए का ऋण माफ करने के संबंध में पहले ही धन जारी कर दिया गया है। वाणिज्यिक बैंकों से लिए कर्ज के मद में 7.49 लाख किसानों का ऋण माफ करने के लिए 3929 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। सहकारी बैंकों के 11.20 लाख किसानों के कृषि ऋण माफ करने के लिए 4,080 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं और सहकारी बैंकों को 1200 करोड़ रुपए अतिरिक्त जारी किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बैंकों की गलतियों के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराना पूरी तरह से अनुचित है। यादगीर जिलों के बैंकों ने पहले ही स्वीकार कर लिया है कि उनसे गलती हो गई है।
उन्होंने कहा कि मीडिया को कोई भी खबर प्रकाशित करने से पहले उसकी सच्चाई का पता लगा लेना चाहिए।