अब प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग ने एक रास्ता निकाला है और इसमें मदद करेंगे सरकारी स्कूलों के शिक्षक। शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार की अपील पर सरकारी स्कूलों के शिक्षक एक दिन का वेतन दान करने के लिए राजी हो गए हैं, जो करीब 30 करोड़ रुपए है।
कर्नाटक राज्य उच्च विद्यालय सहायक शिक्षक संघ के अध्यक्ष एच. के. मंजूनाथ ने बताया कि ज्यादातर शिक्षक एक दिन का वेतन दान करने पर राजी हैं। शिक्षकों ने शिक्षा विभाग की अपील पर यह मानवीय निर्णय लिया है। अपने शिक्षकों के साथ ऑनलाइन बैठक के बाद संघ सरकार को सूचित करेगा। लेकिन मंजूनाथ ने एक शर्त भी रखी है कि जैसे ही अभिभावक फीस जमा करना शुरू करते हैं निजी स्कूल प्रबंधनों को वेतन का भुगतान करना होगा। ऐसा न हो कि सरकारी शिक्षकों का वेतन दान करना निजी स्कूल प्रबंधनों को बेपरवाह कर दे और वे अपने शिक्षकों के वेतन को हल्के में लेने लगें। उन्होंने सरकार से यह भी अनुरोध किया है कि उपलब्ध शिक्षक कल्याण निधि के उपयोग की संभावनाओं पर गौर करे।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कुल 2.20 लाख शिक्षक सेवाएं दे रहे हैं। प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों के सभी शिक्षक अपना एक दिन का वेतन दान करेंगे तो करीब 30 करोड़ रुपए एकत्रित होंगे। शिक्षा मंत्री ने दो दिन का वेतन दान करने की अपील की थी लेकिन संघ का कहना है कि सदस्य एक दिन का वेतन दान करने के लिए राजी हैं। पिछले साल आई बाढ़ में भी संघ के सदस्यों ने एक दिन का वेतन दिया था।
उधर, कर्नाटक राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ (केएसपीएसटीए) ने कहा कि अभी उसके सदस्यों ने दान करने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है। संघ के सदस्यों ने अप्रेल में सीएम कोविड-19 कोष और पिछले साल बाढ़ राहत कोष के लिए एक-एक दिन का वेतन दिया था। संघ के सचिव एन चंद्रू ने कहा कि सदस्यों का वेतन उच्च विद्यालयों के शिक्षकों के समान नहीं है और वे भी वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं।
इस बीच ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों को जरूरतमंद शिक्षकों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। शिक्षकों के बैंक खातों में मदद राशि जमा होगी।
प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव एस. आर. उमाशंकर ने बताया कि सरकार समस्या से अनजान नहीं है। ज्यादातर स्कूल प्रबंधनों का तर्क है कि फीस मिलने के बाद ही वे शिक्षकों को वेतन दे सकेंगे। लेकिन स्थिति यह है कि अभिभावक भी मजबूर हैं। सभी एक ही नौका पर सवार हैं।