सरकार के उच्च स्तरीय सूत्रों के अनुसार पहले चरण में ब्लॉक स्तर पर व उसके बाद राज्य के सभी 6030 पंचायत मुख्यालयों पर इस तरक की दुकानें खुलेंगी। प्रायोगिक तौर पर एक दुकान बेंगलूरु के बाहरी इलाके के दोड्डजाला में खोली गई है, जो रियायती दर पर दवा बिक्री के बावजूद हर माह 2 लाख रुपए का लाभ अर्जित कर रही है। राज्य की हरेक पंचायत का सालाना 80 हजार से लेकर 1.50 लाख तक की आय है और इन पंचायतों के संसाधनों से ही दुकानें खोली जाएंगी।
सूत्रों ने यह भी कहा कि यदि कोई दवा बाजार में 100 रुपए में बिकती है तो उसकी मूल लागत केवल 35 से लेकर 40 रुपए तक होती है। सरकार का यह भी मानना है कि 40 फीसदी रियायती दामों पर दवा बेचने के बावजूद 20 से लेकर 25 फीसदी का लाभ होगा। दवा दुकान की दुकान खोलने के लिए 5 लाख रुपए तक की पूंजी पर्याप्त है, लिहाजा ग्रामीण विकास व पंचायत राज विभाग के अधिकारियों के एक दल ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार करके सरकार को सौंपा है। बताया जाता है कि इन दुकानों के लिए प्रारंभिक पूंजी राज्य सरकार उपलब्ध करवाएगी और बाद में अधिक स्टॉक रखने के लिए पंचायतें अपने संसाधनों का निवेश करेंगी और लाभ की पूरी धनराशि पर ग्राम पंचायतों का हक होगा।