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व्याख्याताओं की तबादला नीति शीघ्र जारी : अश्वथनारायण

locationबैंगलोरPublished: Feb 25, 2020 08:56:33 pm

Submitted by:

Sanjay Kulkarni

राज्य में किसी भी सरकारी पदवी कॉलेज में व्याख्याताओं की कमी न हो इसलिए शीघ्र ही तबादला नीति जारी की जाएगी। मौजूदा कई व्याख्याता अपने पसंदीदा शहर में तबादला करवा रहें है जिसके कारण से कुछ शहरों में व्याख्याताओं की संख्या अधिक तो कुछ शहरों में कमी ऐसे हालांत पैदा हो रहें है।हर व्याख्याता बेंगलूरु तथा मैसूर में ही काम करना चाहता है।जिसके कारण कई समस्याएं पैदा हो रही है

व्याख्याताओं की तबादला नीति शीघ्र जारी : अश्वथनारायण

व्याख्याताओं की तबादला नीति शीघ्र जारी : अश्वथनारायण

बेंगलूरु.उच्च शिक्षा मंत्री डॉ सीएन अश्वथनारायण नेकहा कि हर व्याख्याता बेंगलूरु तथा मैसूर में ही काम करना चाहता है।जिसके कारण कई समस्याएं पैदा हो रही है।उपमुख्यमंत्री तथा उच्च शिक्षा मंत्री डॉ सीएन अश्वथनारायण ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि बजट सत्र के दौरान पेश किए जानेवाले विश्वविद्यालय संशोधित विधेयक में उच्च शिक्षा विभाग में कार्यनिरत शिक्षकों की तबादला नीति को भी शामिल किया जा रहा है।सरकारी स्नातक कॉलेज में पहले चरण में 1700 व्याख्याताओं के पद भरें जा रहें है।जिसमें 400 प्रिसिंपॉल भी शामिल होंगे। अगले शिक्षा वर्ष में राज्य के सभी कॉलेजों में इंजिनीयरिंग कॉलेज की तर्ज पर प्लेसमेंट सेल स्थापित किए जाएंगे।
उन्होंनें कहा कि स्थानीय उद्यम क्षेत्र के लिए आवश्यक कुशल मानव संसाधन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।इससे सैकड़ों रोजगारों का सर्जन संभव होगा।साथ में ऐसे कॉलेज में ऑन लाइन रोजगार विनियम केंद्र भी स्थापित किया जाएगा। जो युवा नौकरी के बदले लघु उद्यम स्थापित करना चाहते है ऐसे युवाओं को आवश्यक मार्गदर्शन, प्रशिक्षण तथा वित्तीय सहायता की सुविधा उपलब्ध की जाएगी।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि शीघ्र ही रायचूरु विश्वविद्यालय स्थापित किया जाएगा।मौजूदा यहां के स्नातकोत्तर अध्ययन तथा संशोधन केंद्र कैंपस में 250 एकड़ भूमि उपलब्ध होने के कारण इस प्रस्तावित विवि के लिए भूमि की कोई समस्या नहीं है।इस प्रस्तावित विश्वविद्यालय को मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दी गई है।लिहाजा इसी शिक्षा वर्ष में यह विवि स्थापित होगा।
राज्य में नागरिकता संशोधित कानून को लेकर चल रहें विरोध प्रदर्शनों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह कोई नया प्रस्ताव नहीं है। पडोसी देशों में धार्मिक उत्पीडऩ के कारण हमारे देश में शरणार्थी बनकर पहुंचे लोगों को नागरिकता प्रदान करना हमारा दायित्व है आजादी के पश्चात पंडित नेहरु, लालबहादूर शास्त्री, मनमोहन सिंह ने भी ऐसी नागरिकता की वकालत की है। लेकिन कांग्रेस के नेता जानबूझ कर एक समुदाय विशेष को इस कानून को लेकर भय पैदा कर रहें है।
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