यहां शनिवार को उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर शीघ्र ही मौजूदा कानून में संशोधन लाया जाएगा। पहले चरण में ग्रामीण विकास तथा पंचायत राज विभाग के सभी भवनों के लिए यह संशोधित कानून लागू होगा। ऐसे भवनों के नक्शे तभी स्वीकृत होंगे जबकि वर्षा जल संग्रहण का उल्लेख होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2019-20 को जल वर्ष के रूप में मनाने का फैसला किया है। इस फैसले के तहत 11 जून को राज्य की सभी जिला पंचायतों में एक ही दिन पौधरोपण किया जाएगा।
पौधों की सिंचाई तथा देखभाल करना स्थानीय पंचायत के कर्मचारियों का दायित्व होगा। वर्ष के दौरान राज्य में एक करोड़ पौधे रोपने करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्राथमिक तथा माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से भी सभी प्राथमिक तथा माध्यमिक शालाओं के परिसर में पौधरोपण किया जाएगा। इसके लिए शिक्षा विभाग को 30 लाख पौधे आवंटित किए जाएंगे। सभी जिलों के सरकारी कार्यालय, सरकारी अस्पताल तथा स्कूल मैदान में पौधरोपण अनिवार्य होगा। साथ में सडक़ों के दोनों तरफ पौधरोपण करना होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य की बढ़ती आबादी की प्यास बुझाना मुश्किल होता जा रहा है। मांग तथा आपूर्ति के बीच खाई कम करने के लिए लोगों को पानी का विवेकपूर्ण उपयोग कर प्रशासन के साथ सहयोग करना चाहिए। विकास की आंधी से वन क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा है। वन क्षेत्र घटने से अब पहले जैसी बारिश नहीं हो रही है। हमेशा हरे-भरे तटीय कर्नाटक तथा मलनाडु कर्नाटक में भी अब पेयजल आपूर्ति का संकट हमारे लिए खतरे की निशानी है। इसलिए वन क्षेत्र का विस्तार करना हमारा सामाजिक दायित्व है।
बैरेगौड़ा ने कहा कि बारिश का पानी व्यर्थ ना बहे इसलिए जगह-जगह पर चेक डैम का निर्माण किया जा रहा है। इससे भूजलस्तर बढ़ता है। सभी जिलों में 20 हजार चैक डैम के निर्माण के लिए 500 करोड़ रुपए का अनुदान जारी किया गया है।
इसके अलावा वन क्षेत्रों में भी 14 हजार से अधिक जलकुंडों का निर्माण कर वन्य जीवों के लिए पेयजल की व्यवस्था की जाएगी। अब वन क्षेत्र में पहले जैसा आहार तथा पानी नहीं मिलने से वन्य जीव आगादी वाले क्षेत्रों में प्रवेश कर फसलों, मानवों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हालांकि यह समस्या भी मानव निर्मित है, इसलिए इसे गंभीरता से लेने की जरुरत है।