यहां शनिवार को उन्होंने कहा कि विभाग की योजना के तहत मवेशी खरीदने के लिए सामान्य वर्ग के लिए 25 फीसदी तो अनूसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) वर्ग के लिए 90 फीसदी अनुदान दिया जाता है।
मगर योजना का दुरुपयोग कर लाभार्थी मवेशियों को बेच कर सरकार के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं। एक ही मवेशी सैंकड़ों लोगों के नाम से आवंटित कर सरकारी अनुदान लिया जा रहा है। इसमें बैंक के कर्मचारी भी शामिल हैं। इस पर रोक लगाने के लिए यह कार्यक्रम तैयार किया गया है।
योजना के तहत खरीदे मवेशियों को चिप लगाए जाने से उनकी बिक्री करना संभव नहीं होगा। विभाग में धांधली पर अंकुश लगाने के लिए सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाएगा। विभाग की वेबसाइट पर पशु चिकित्सा केंद्र, पशु चिकित्सक, दवा भंडार की जानकारी होगी। शीघ्र ही इस वेबसाइट का लोकार्पण किया जाएगा।
दूध के खरीदी मूल्यों को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि इसमें राज्य सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं करती है, स्थानीय दुग्ध उत्पादक संघ तथा कर्नाटक दुग्घ उत्पादक महासंध (केएमएफ) ही इस मामले में फैसले करता है।