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राज्यपाल ने दिया शुक्रवार को डेढ़ बजे तक बहुमत साबित करने का निर्देश

locationबैंगलोरPublished: Jul 18, 2019 11:45:32 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

व्यवस्था के प्रश्न पर होती रही बहस
राज्यपाल के निर्देश के बावजूद स्थगित हुई सदन की कार्यवाही

Karnataka

राज्यपाल ने दिया शुक्रवार को डेढ़ बजे तक बहुमत साबित करने का निर्देश

बेंगलूरु. Karnataka Vidhan Sabha में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी द्वारा पेश विश्वासमत पर फैसला हुए बिना सदन की कार्यवाही स्थगित किए जाने को गंभीरता से लेते हुए राज्यपाल वजूभाई वाळा ने मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के सामने बहुमत साबित करने के लिए समय सीमा तय कर दी है।
राज्यपाल ने देर शाम मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर निर्देश दिया कि वे शुक्रवार दोपहर 1.30 बजे तक बहुमत साबित करें। पत्र में राज्यपाल ने तिथि सहित इस बात का जिक्र किया है कि उनके गठबंधन के 15 विधायकों ने उनसे मिलकर इस्तीफा सौंपा है जबकि दो निर्दलीय legislators ने भी समर्थन वापस लेने का पत्र दे दिया है। राज्यपाल ने कहा है कि उन्होंने इस पर गंभीरता से विचार किया है और परिस्थितियों को देखकर ऐसा लगता है कि गठबंधन सरकार बहुमत/सदन का विश्वास खो चुकी है। उन्हें इस बात की सूचना मिली है कि विश्वासमत की प्रक्रिया में देरी की गई और बिना किसी परिणाम के सदन को स्थगित कर दिया गया। ऐसा लोकतंत्र में नहीं हो सकता। हालांकि, उन्होंने धारा 175 (2) के तहत एक पत्र स्पीकर को भेजा लेकिन उसके बावजूद उन्हें सूचना मिली की सदन स्थगित कर दिया गया। इन परिस्थितियों में वे उनसे अपेक्षा करते हैं कि विधानसभा में शुक्रवार 1.30 बजे तक बहुमत साबित करें।
इससे पहले सुबह 11 बजे विश्वास प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने चर्चा प्रारंभ तो की लेकिन आगे नहीं बढ़ पाई। चर्चा व्यवस्था के एक प्रश्न पर हुई जिसे पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरामय्या ने उठाया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बहुमत परीक्षण को टालने की मांग की।
सिद्धरामय्या का कहना था कि शीर्ष अदालत के आदेश ने व्हिप जारी करने के उनके अधिकार में दखल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने Whip के बारे में कोई जिक्र नहीं किया, लेकिन यह कहा कि 15 बागी विधायकों को session में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इस पर फैसला करने का विकल्प उन पर छोड़ दिया गया। अदालत का यह आदेश संविधान (दल-बदल निरोधक कानून) की 10 वीं अनुसूची के तहत व्हिप जारी करने के उनके अधिकार में दखलंदाजी है। सिद्धरामय्या द्वारा यह प्रश्न उठाए जाने के बाद चर्चा का रुख मुड़ गया। दोनों पक्षों के बीच तीखी नोंक-झोंक शुरू हो गई। कांग्रेस ने मांग की कि व्हिप जारी करने के अधिकार पर फैसला या तो स्पीकर सदन के अंदर करें या इस पर सुप्रीम कोर्ट अपना अंतिम फैसला सुनाए।
राज्यपाल ने भी भेजा संदेश
उधर, भारतीय जनता पार्टी ने इसे विश्वास मत हासिल करने की प्रक्रिया को विलंबित करने की चाल बताया और राज्यपाल वजूभाई वाळा से इसकी शिकायत की। governor ने एक विशेष अधिकारी के जरिए अपना संदेश स्पीकर केआर रमेश कुमार को भेजा जिसे स्पीकर ने सदन में पढ़ा। राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा कि chief minister को हमेशा सदन का बहुमत प्राप्त होना चाहिए। बहुमत प्रस्ताव पेश किया गया है और इस पर आज फैसला होना चाहिए। राज्यपाल का संदेश पढ़े जाने के बाद चर्चा इस बात पर शुरू हो गई कि राज्यपाल सदन की proceedings में दाखिल कर सकते हैं या नहीं। कांग्रेस की ओर से कृष्ण बैरेगौड़ा और एचके पाटिल ने इस पर सवाल उठाए। उधर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष येड्डियूरप्पा ने कहा कि भले ही मध्यरात्रि तक सदन चले फैसला आज ही होना चाहिए। सदन में इस पर दोनों पक्षों के बीच तीखी-नोंक झोंक शुरू हो गई। अंतत: सभा अध्यक्ष ने कार्यवाही शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
vidhan sabha
कुमारस्वामी ने रखा विश्वास प्रस्ताव
इससे पहले मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने विधानसभा में विश्वास मत रखते हुए कहा कि बागी विधायकों ने गठबंधन सरकार को लेकर पूरे देश में संदेह पैदा कर दिया और ‘हमें सच्चाई बतानी है। पूरा देश कर्नाटक के घटनाक्रम को देख रहा है।’ कुमारस्वामी ने कहा कि बागी विधायकों के इस्तीफे तो एक वाक्य में थे कि उनका इस्तीफा वाजिब और स्वेच्छा से दिया हुआ है, लेकिन Supreme Court में उन्होंने कहा कि राज्य भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा हुआ है। इन तमाम विषयों पर सही बात जनता के बीच जानी चाहिए। जैसे ही कुमारस्वामी ने सदन में विश्वास मत का प्रस्ताव पेश किया नेता प्रतिपक्ष बीएस येड्डियूरप्पा ने खड़े होकर कहा कि यह प्रक्रिया एक ही दिन में पूरी की जानी चाहिए। इस पर कुमारस्वामी ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘लगता है नेता प्रतिपक्ष जल्दबाजी में हैं।’
…तो गिर जाती सरकार
दरअसल, आज सदन में जहां भाजपा के सभी 105 सदस्य मौजूद थे वहीं सत्ता पक्ष में स्पीकर को जोड़कर केवल 99 सदस्य थे। सत्ता पक्ष के 18 सदस्य (बसपा विधायक एन महेश को जोड़कर) और 2 निर्दलीय विधायक (जो भाजपा के पक्ष में हो गए हैं) अनुपस्थित थे। सूत्रों के मुताबिक निर्दलीय विधायक मतदान की स्थिति में कभी भी बुलाए जा सकते हैं। अगर आज बहुमत परीक्षण होता तो सदन की संख्या 203 होती (स्पीकर को छोड़कर) और बहुमत के लिए 102 विधायकों की जरूरत होती। ऐसे में सरकार का गिरना तय था। कांग्रेस के दो विधायक श्रीमंत पाटिल और बी.नागेंद्र भी सदन में नहीं आए जिसको लेकर सदन में काफी शोर हुआ। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पाटिल का अपहरण कर अस्पताल में भर्ती कराया गया है वहीं पाटिल ने एक पत्र लिखकर अपनी अस्वस्थता के कारण सदन में उपस्थित होने से छूट मांगी। पाटिल मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती हैं।
ये 20 रहे अनुपस्थित
कांग्रेस सदस्य: बैरती बसवराज, मुनिरत्ना, एसटी सोमशेखर, रमेश जारकीहोली, रोशन बेग, श्रीमंत पाटिल, आनंद सिंह, बी.नागेंद्र, एमटीबी नागराज, बीसी पाटिल, महेश कुमटहल्ली, डॉ सुधाकर, प्रताप गौड़ा पाटिल, शिवराम हेब्बार
जद-एस: एएच विश्वनाथ, नारायणगौड़ा पाटिल, के गोपालय्या
बसपा: एन महेश
निर्दलीय: आर शंकर, एच नागेश

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