कॉलेज के प्रिंसिपल रत्नाकर शेट्टी ने बताया कि पहले हर महीने बिजली पर 20-25 हजार रुपए खर्च होते थे। अब दो से पांच हजार रुपए तक का ही बिल आता है। बिजली की आपूर्ति हो रही हो या नहीं इससे कॉलेज को अब कोई फर्क नहीं पड़ता है। सौर पैनल निकटतम बेंगलूरु विद्युत आपूर्ति कंपनी (बेसकॉम) के ग्रिड से जुड़े हैं। प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के साथ यहां प्राथमिक स्कूल और डिग्री कॉलेज भी हैं। 1500 से ज्यादा विद्यार्थी यहां पढ़ाई कर रहे हैं।
शेट्टी ने बताया कि सरकारी बॉयज प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज का चुनाव उन 13 स्कूल-कॉलेजों में हुआ था, जिनमें ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टीइआरआइ) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने वर्ष 2015 में सौर पायलट योजना शुरू की थी।