सिंचाई सहित स्थाई परियोजनाओं के लिए ही सरकार ने लिया कर्ज: येडियूरप्पा
देश के आर्थिक विकास पर विधानसभा में गर्मागर्म बहस ऐसे हालात में विकास की गति बनाए रखने के लिए ऋण लेना अनिवार्य हो गया है। अगले तीन सालों तक उनके नेतृत्व वाली भाजपा सरकार सत्ता में बनी रहेगी। किस तरह ऋण लेना है कैसे चुकाना है और वित्तीय संसाधन किस तरह जुटाने हैं वे इस बारे में सब कुछ जानते हैं। इससे पहले बजट पर बहस में हिस्सा लेते हुए सिद्धरामय्या ने कहा कि केन्द्र सरकार अनुदान देनेके मामले में राज्य के साथ भेदभाव कर रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र से हमारे हिस्से का धन प्राप्त करने में मुख्य

बेंगलूरु
मुख्यमंत्री बी.एस. येडियूरप्पा ने विधानसभा में स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ने अनुपयुक्त योजनाओं के लिए नहीं बल्कि सिंचाई सहित स्थाई परियोजनाओं के लिए विभिन्न ोतों से ऋण लिया है।
विधानसभा में गुरुवार को वित्तीय वर्र्ष 2020-21 के बजट पर बहस के दौरान विपक्ष के नेता सिद्धरामय्या के भाषण के दौरान सरकार के ऋण लेने के तौर तरीकों की आलोचना करने पर दखल करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने सिद्धरामय्या के कार्यकाल के दौरान सबसे अधिक कर्ज लिया था और इसका सिलसिला जारी है। वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण अमरीका जैसा धनी देश भी प्रभावित होने से बचा नहीं है और इसी के परिणामस्वरुप हमारे देश व राज्य की आर्थिक स्थिति पर भी असर हुआ है।
ऐसे हालात में विकास की गति बनाए रखने के लिए ऋण लेना अनिवार्य हो गया है। अगले तीन सालों तक उनके नेतृत्व वाली भाजपा सरकार सत्ता में बनी रहेगी। किस तरह ऋण लेना है कैसे चुकाना है और वित्तीय संसाधन किस तरह जुटाने हैं वे इस बारे में सब कुछ जानते हैं। इससे पहले बजट पर बहस में हिस्सा लेते हुए सिद्धरामय्या ने कहा कि केन्द्र सरकार अनुदान देनेके मामले में राज्य के साथ भेदभाव कर रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र से हमारे हिस्से का धन प्राप्त करने में मुख्यमंत्री विफल रहे हैं। इस सरकार ने ऋण लेने के बावजूद अन्न भाग्या, शादी भाग्या जैसी जन कल्याणकारी योजनाओं पर कैंची चलाने का काम किया है।
उन्होंने आगाह किया कि यदि आपने सचेत होकर केन्द्र सरकार से राज्य के हिस्से का अनुदान प्राप्त नहीं किया तो आपके लिए आगे सरकार चला पाना कठिन हो जाएगा। हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि सरकार सरकारी कर्मचारियों का वेतन,लिए गए ऋणों पर ब्याज चुकाने , प्रशासनिक खर्चों को पुरा करने के अलावा अन्य कोई विकास कार्य नहीं करवा पा रही है। केवल इन खर्चों की भरपाई के लिए हमारे यहां आने का कोई अर्थ नहीं है। यदि आप राज्य का विकास नहींकर पा रहे हैं तो आपको कोई सम्मान नहीं मिलेगा। सिद्धरामय्या ने आरोप लगाया कि येडियूरप्पा की सरकार ऋण लेने वाली सरकार है और यह सरकार इस बार 57 हजार करोड़ रुपए का ऋण लेने जा रही है।
यदि इसी गति से ऋण लेने का सिलसिला जारी रहा तो इस सरकार का कार्यकाल पूरा होने तक ऋण की धनराशि 5.65 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी। इस सरकार को इतना अधिक कर्ज क्यों लेना पड़ रहा है इसकी सच्चाई आंखों के सामने हैं।केन्द्र सरकार से मिलने वाले अनुदान में कटौती कर दी गई है और जीएसटी के माध्यम से आपको मिलने वाले हिस्से का भुगतान नहीं किया गया है। योजना आयोग ने हमारे राज्य के लिए केन्द्रीय अनुदान में कम हिस्सा तय किया है। इस बारे में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन के पास जाकर दो टूक पूछना चाहिए कि उन्होंने हमारे राज्य के लिए 5 हजार करोड़ रुपए कम तय क्यों किए हैं।
जितने सांसद यहां से जीते हैं उनको संसद में जाकर धरना देना चाहिए क्योंकि राज्य के लिए की गई कटोती को ठीक नहीं करने पर सरकार चलाना संभव नहीं होगा। सिद्धरामय्या ने कहा कि बजट के हालात देखें तो विकास कार्य के लिए केवल 22 हजार करोड़ रुपए ही मिलते हैं। 2.37 लाख करोड़ रुपए के राज्य के बजट से यदि केवल 22 हजार करोड़ ही विकास के लिए मिलने से भला क्या लाभ होगा? यह सच है कि आर्थिक मंदी से समूचा विश्व हिल गया है पर इसके कारण इस कदम अन्याय नहीं होना चाहिए।
जब हमारी सरकार थी तब आप लोग कहते थे कि ऋण लेकर पूरन पोली खा रहे हैं पर अब आप क्या करने जा रहे हैं? सिद्धरामय्या ने येडियूरप्पा के बजट को निराशादायक बताते हुए कहा कि क्षेत्र वार आवंटन करने से विभाग वार अनुदान में पारदर्शिता नहीं है। भारत की आर्र्थिक स्थिति रसातल में पहुंच गई है। किसानों की आय घट रही है और रोजगार के अवसर घट रहे हैं। ऐसी स्थिति में राज्य में त्वरित आर्थिक विकास की उम्मीद नहीं की जा सकती और कोरोना वायरस के कारण अगले वित्तीय वर्ष में विकास दर और घटेगी।
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