इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने शुक्रवार रात चंदरकी के स्कूल में गुजारी और फर्श पर सोए। बेंगलूरु से लगभग 490 किमी दूर इस गांव में कुमारस्वामी ने पूरा एक दिन वहां के निवासियों, किसानों, शिल्पकारों, व्यापारियों और महिलाओं के साथ चर्चा में गुजारी। सैकड़ों लोग इस दौरान उनसे मिले।
उन्हें जिस स्कूल में रात गुजारनी थी, उसका नवीनीकरण भी कराया गया था। स्कूल भवन को अच्छी तरह सजाए जाने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि वह सडक़ पर भी सोने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि यहां 5 स्टार जैसी कोई सुविधा नहीं है। लेकिन, वे विपक्ष से पूछना चाहते हैं कि क्या उन्हें आवश्यक सुविधाएं लेने का भी हक नहीं है। ऐसे में वे रोज कैसे काम कर पाएंगे। एक छोटा बाथरूम बनवाया गया है, लेकिन क्या वे अपने पीछे उसे लटकाकर घूम सकते हैं।
उन्होंने सफाई दी कि वे गांवों में बच्चों की मदद करेंगे। वे यहां लग्जरी नहीं, बल्कि साधारण बस से आए। उन्हें भाजपा से कुछ सीखने की जरूरत नहीं है। वे झोपड़ी में भी सो सकते हैं। जब उनके पिता एचडी देवगौड़ा प्रधानमंत्री थे, तब वे रूस के ग्रेंड क्रेमलिन पैलेस में सो चुके हैं। वे जिंदगी में सबकुछ देख चुके हैं। कुमारस्वामी जिस स्कूल में ठहरे उस स्कूल के बच्चों और शिक्षकों के साथ रात का खाना खाया और फर्श पर सोए।
इससे पहले उन्होंने वर्ष 2006-07 में मुख्यमंत्री के तौर पर अपने पहले कार्यकाल के दौरान ग्राम प्रवास का यह कार्यक्रम किया था। अब 28-29 जून को उनका बीदर जिले के बसवकल्याण और रायचूर जिले के सिदनूर में रात्रि विश्राम कार्यक्रम का दूसरा चरण होगा।
अब जुलाई में जा सकते हैं हेरूर-बी
शनिवार को चंदरकी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि ग्राम वस्तव्य कार्यक्रम स्थगित किया गया है। हेरूर (बी) नहीं पहुंच पाने के लिए उन्हें खेद जताते हुए कहा कि इस कार्यक्रम को जुलाई के पहले अथवा दूसरे सप्ताह में पुन: निर्धारित किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि अगले महीने दस दिन के लिए विधानमंडल का सत्र बुलाने का प्रस्ताव है।