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तनाव बीमारी का बहुत बड़ा कारण- देवेंद्रसागर सूरी

locationबैंगलोरPublished: Apr 14, 2021 11:32:49 am

Submitted by:

Yogesh Sharma

धर्मसभा का आयोजन

तनाव बीमारी का बहुत बड़ा कारण- देवेंद्रसागर सूरी

तनाव बीमारी का बहुत बड़ा कारण- देवेंद्रसागर सूरी

बेंगलूरु. जयनगर के धर्मनाथ जैन मंदिर में आचार्य देवेन्द्रसागर सूरी ने कहा की असीमित इच्छाएं और महत्वाकांक्षाएं मनुष्य को असामान्य बनाती हैं। महत्वाकांक्षाओं और इच्छाओं के मोह में न पडक़र इससे छुटकारा पाने की कोशिश हो, तो चिंताएं स्वयं मिट जाएंगी, जीवन आनंदमय बन जाएगा। जब आकांक्षा ही नहीं रहीं तो चिंता, फिक्र, भय, अशांति कैसी? जिनको कुछ नहीं चाहिए, वे बादशाहों के भी बादशाह कहे जा सकते हैं। सुख अलग है, सुविधा अलग है। हम इन दोंनों में अंतर करना सीखें। जब तक भेद नहीं करेंगे, भ्रांति और भय नहीं मिटेंगे। सुविधाओं से हम सभी सुख नहीं पा सकते। आचार्य ने कहा कि चीज का विश्लेषण करने और उसके अलग-अलग महत्व को समझने की कला हमें आनी चाहिए। इसी से हम जीवन को संतुलित और सुखी बना सकते हैं। कुशल गृहणी चावल में कंकड़ की पहचान कर उसे निकाल फेंकती है और जो चावल बचता है, वह खाने योग्य बन जाता है। हमें भी जीवन के संदर्भ में यही तरीका अपनाना चाहिए। धन से सुख की प्राप्ति एक भ्रांति है। यह निर्विवाद तथ्य है कि पदार्थ मनुष्य को कभी सुखी नहीं बना सकता। क्षणिक प्रसन्नता दे सकता है, पर स्थायी सुख नहीं दे सकता। जिंदगी में हमेशा सब कुछ अच्छा और सही ही हो, कहां होता है? किसी की जिंदगी में नहीं होता। जिंदगी पूरी तरह परफेक्ट न होती है, न होगी। धनाकांक्षा, नौकरी, सेहत या रिश्ते कोई न कोई परेशानी चलती ही रहती है। कुछ नया करने की चाहत रखने वाले सवालों से नहीं डरते। थोड़ी जमीन मिलते ही वे जिज्ञासाओं के पंख फैलाने लगते हैं। ऐसा नहीं कि वे सिर्फ दूसरों से सवाल पूछते हैं, जरूरत होने पर खुद से भी सवाल करते हैं। यह रास्ता उन्हें अपने लक्ष्यों और सपनों के करीब ले जाता है। किसी लेखक ने कहा है कि सीखने की राह में दिक्कत ही यह है कि हम कह पाते कि हम नहीं जानते। हमारा अहंकार ऐसा नहीं करने देता और यही अहंकार जीवन की एक बड़ी बाधा है। सुविधावाद भय पैदा करता है और भय बीमारी पैदा करता है। आजकल बहुत सी बीमारियां मन के संवेगों के कारण पैदा हो रही हैं। इन्हें मनोकायिक बीमारियां कहा गया है। मन और काया दोनों की संयुक्त विकृति का परिणाम हैं मनोकायिक बीमारियां। भय, घृणा, क्रोध, लोभ, मोह, ईष्र्या- ये सब बीमारियां पैदा करते हैं। मन में किसी भी तरह का तनाव है तो आप समझ लें कि उसका शरीर पर कोई न कोई नकारात्मक असर जरूर पड़ रहा है। उस समय सचेत हो जाने की जरूरत होती है। तनाव बीमारी का बहुत बड़ा कारण है। आज तो तनाव इतना ज्यादा बढ़ गया है कि इसे तनाव का युग कह सकते हैं। इस तनाव से मुक्ति का मार्ग है स्वयं से स्वयं का साक्षात्कार।
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