scriptसमभाव से सहने वाला साधक महान-साध्वी डॉ.सुप्रिया | Great Sadhvi Dr.Supriya | Patrika News
बैंगलोर

समभाव से सहने वाला साधक महान-साध्वी डॉ.सुप्रिया

धर्मसभा

बैंगलोरOct 18, 2021 / 07:42 am

Yogesh Sharma

समभाव से सहने वाला साधक महान-साध्वी डॉ.सुप्रिया

समभाव से सहने वाला साधक महान-साध्वी डॉ.सुप्रिया

बेंगलूरु. राजाजीनगर जैन स्थानक विराजित साध्वी सुमित्रा के सान्निध्य में डॉ.साध्वी सुप्रिया ने उत्तराध्ययन सूत्र का विवेचन करते हुए कहा कि परमात्मा ने प्रथम अध्ययन में प्रथम गुण विनय का बताया है। ज्ञान की प्राप्ति विनय से ही होती है। विनयवान शिष्य वहीं होता है, जो परिग्रहों से मुक्त हो। गुरु के मन के भावों को जानने वाला, गुरु के इंगित इशारों पर चलने वाला, गुरु आज्ञा की पालना करने वाला शिष्य ही विनयवान शिष्य बतलाया गया है। जो मनमानी करता है, गुरु के समक्ष बैठने से कतराता है, गुरु आज्ञा को सर्वोपरि नहीं मानता है। वह अविनीत शिष्य कहा गया है। अविनीत का सदा तिरस्कार होता है और विनीत को सदा ही मान सम्मान मिलता है। अविनीत की दृष्टि अवगुणों पर रहती है, उसका आचरण बुरा होता है और वह दुराचारी होता है। अविनीत शिष्य को अडिय़ल घोड़े की उपमा दी गई है। जो खुद भी परेशान होता है और मालिक को भी परेशान करता है। ऐसा अविनीत शिष्य संयम साधना में कभी आगे नहीं बढ़ सकता। उन्होंने कहा कि परिश्रहों और उपसर्गों को सहन करने का सामथ्र्य जिसमें होता है। वही ज्ञान दर्शन को प्राप्त कर सकता है। परिश्रहों को हंसते हुए सहने से कर्मों की निर्जरा होती है। साधक वही होता है जो कष्टों को समभाव से सहन करे। कष्टों से घबराने की बजाय उनका डटकर मुकाबला करना ही साधक की महानता है। साधक का कर्तव्य है। साध्वी सुविधि ने उत्तराध्ययन सूत्र का वांचन किया। साध्वी सुमित्रा ने मंगलपाठ प्रदान किया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो