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कौरू के लांच पैड से जीसैट-11 वापस

locationबैंगलोरPublished: Apr 24, 2018 06:41:08 pm

Submitted by:

Rajeev Mishra

अगले महीने एरियन-5 से होना था प्रक्षेपण

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बेंगलूरु. देश के अब के सबसे वजनी संचार उपग्रह जीसैट-11 का प्रक्षेपण टल गया है। इसे यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के रॉकेट एरियन-5 से फ्रेंच गुयाना स्थित कौरू प्रक्षेपण स्थल से छोड़ा जाना था। लेकिन, इसरो ने ऐन वक्त पर कौरू प्रक्षेपण स्थल से उपग्रह को वापस लाने का निर्णय किया है। इसे पिछले 30 मार्च को लांचिंग के लिए फ्रेंच गुएना स्थित कौरू प्रक्षेपण स्थल पर भेजा गया था।
सूत्रों के मुताबिक जीसैट-11 उपग्रह को कौरू से वापस भेज दिया गया है और अगले एक-दो दिनों में यह भारत पहुंच जाएगा। इसे 19 मई को दो अन्य विदशी उपग्रहों अजरस्पेस-2 व इंटलसेट-38 के साथ छोड़ा जाना था। विदेशी लांच पैड से उपग्रह का वापस लौटना एक अप्रत्याशित घटना है और संभवत: ऐसा पहली बार हुआ है। उपग्रह के लांच पैड से वापस आने पर इसरो के किसी भी अधिकारी ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि जीसैट-11 उपग्रह में कोई तकनीकी खराबी या किसी भी तरह की समस्या जैसी कोई बात नहीं है। यह उपग्रह लांच होने के योग्य और पूरी तरह तैयार था। लेकिन, पिछले महीने जीसैट-6 ए मिशन में मिली विफलता के बाद इसरो वैज्ञानिक अधिक सतर्क हो गए हैं और अगले हर मिशन में उपग्रहों की एक-एक प्रणालियों और उप-प्रणालियों की कार्यक्षमता को लेकर सौ फीसदी आश्वस्त होना चाहते हैं।
गौरतलब है कि पिछले 29 मार्च को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-6 ए से दूसरे मैनुवर के बाद संपर्क टूट गया। हालांकि, स्वदेशी रॉकेट जीएसएलवी एफ 08 का प्रक्षेपण शानदार रहा था। फिर भी 270 करोड़ की उस परियोजना से कोई लाभ मिलने की उम्मीद नहीं है। जीसैट-6 ए की विफलता का मुख्य कारण पावर सिस्टम का विफल होना था और इसलिए भविष्य के हर मिशन में वह कम से कम इस प्रणाली को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते।
500 करोड़ का मिशन
दरअसल, जीसैट-11 देश का अब तक का सबसे वजनी उपग्रह है और इसमें 40 उच्च क्षमता वाले ‘के’ और ‘केए’ बैंड ट्रांसपोंडर हैं। इस उपग्रह का वजन 5725 किलोग्राम है और इसके ऑपरेशनल होने के बाद देश की इंटरनेट और दूरसंचार सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव आने की उम्मीद है। इसके प्रत्येक सौर पैनल चार मीटर से भी अधिक बड़े हैं और यह 11 किलोवाट ऊर्जा उत्पादित करने वाले हैं। यह उपग्रह 36 मेगाहटज के 220 उपग्रहों की क्षमता के बराबर है और इसके विकास पर 500 करोड़ रुपए खर्च किया गया है। इसरो इस उपग्रह को लेकर किसी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहता। विशेषतौर पर जीसैट-6 ए के पावर सिस्टम में आई खराबी के बाद इस उपग्रह के साथ वह किसी प्रकार का समझौता नहीं करना चाहता। सूत्रों के मुताबिक जीसैट-11 की प्रणालियों और उप-प्रणालियों की पुन: जांच की जाएगी और 100 फीसदी आश्वस्त होने के बाद ही उसे फिर से लांचिंग के लिए भेजा जाएगा। अब इस उपग्रह के प्रक्षेपण में कम से कम 5 से 6 महीने की देरी हो सकती है।
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