बैंगलोर

अंतरिक्ष कचरा बन चुका है जीसैट-6ए!

संपर्क साधने की तमाम कोशिशें नाकाम, उम्मीदें लगभग खत्म

बैंगलोरJun 04, 2018 / 06:05 pm

Rajeev Mishra

अंतरिक्ष कचरा बन चुका है जीसैट-6ए!

बेंगलूरु. अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-6 ए अब अंतरिक्ष में एक बड़ा कचरा बन चुका है। पिछले 29 मार्च को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इसे जीएसएलवी एफ-08 रॉकेट से छोड़ा था लेकिन ऑपरेशनल कक्षा में पहुंचने से पहले ही 31 मार्च की सुबह उससे संपर्क टूट गया।
इसरो के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक यान से संपर्क स्थापित करने की तमाम कोशिशें नाकाम रही हैं। हालांकि, इसरो ने मिशन को डेड घोषित नहीं किया और उससे संपर्क स्थापित करने के लिए लगातार प्रयास किए परंतु उम्मीदें अब लगभग खत्म हो चुकी हैं। अब २१४० किलोग्राम वजनी यह संचार उपग्रह अंतरिक्ष में एक बड़े कचरे का रूप ले चुका है। इसरो वैज्ञानिक अब दूसरे मिशन पर ध्यान दे रहे है। हालांकि, जीसैट-6 ए को सफलता पूर्वक पृथ्वी की भू-स्थैतिक अंतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित कर दिया गया था लेकिन ऑपरेशनल कक्षा में पहुंचाने के लिए किए गए दूसरे मैनुवर के बाद वह विलुप्त हो गया। इसरो अधिकारियों के मुताबिक यान से संपर्क टूटने की मुख्य वजह पावर सिस्टम का विफल होना था जिससे यान में ऊर्जा आपूर्ति ठप हो गई। यह एक ऐसी तकनीकी विसंगति है जिसे ठीक करना संभव नहीं है। टेलीमेट्री संपर्क स्थापित नहीं होने के बाद उपग्रह को राडार के जरिए ट्रैक किया गया और उसका लोकेशन मालूम किया गया लेकिन बिना टेलीमेट्री संपर्क स्थापित उपग्रह किसी उपयोग में नहीं आ सकता।
चूंकि, जीएसएलवी रॉकेट ने जीसैट-6 ए को 169.4 किमी गुणा 36 हजार 692 किमी वाली अंडाकार कक्षा में स्थापित किया था इसलिए यह उपग्रह एक कचरे के रूप में काफी समय तक अंतरिक्ष में टिका रहेगा। इसके जल्दी धरती के वातावरण में प्रवेश करने और जलने की संभावना नहीं है। जब तक उपग्रह की कक्षा गिरकर 100 किमी के आसपास नहीं पहुंचती वह धरती के गुरुत्वाकर्षण के अधीन नहीं आएगा। इससे पहले पीएसएलवी सी-39 से छोड़ा गया नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस-1एच हीटशील्ड में फंसा रह गया और मिशन विफल हो गया। वह उपग्रह भी अंतरिक्षीय कचरा बनकर एक भू-अवलोकन उपग्रह की तरह चक्कर काट रहा है।

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