घनाभ आकार का जीसैट-6 ए 2140 किलोग्राम वजनी है और इसकी उन्नत सुविधाओं में से एक 6 मीटर व्यास का एस-बैंड खुलनीय एंटीना है जिसे नवीनतम तकनीक से बनाया गया है। यह इसरो द्वारा निर्मित सबसे बड़ा उपग्रह एंटीना है जिसका प्रयोग इस श्रृंखला के पूर्ववर्ती उपग्रह जीसैट-6 में भी किया गया था। इस एंटीना का उपयोग भारतीय भूमि पर 5 स्पॉट बीम के लिए किया जाता है। इस उपग्रह में ‘सी और ‘एस बैंड ट्रांसपोंडर हैं। ‘एस बैंड ट्रांसपोंडर मल्टीमीडिया सर्विसेज के लिए हैं जबकि ‘सी बैंड ट्रांसपोंडर सामरिक जरूरतों के लिए है। कक्षा में ऑपरेशनल होने के बाद यह उपग्रह अगले दस वर्षों तक देश को अपनी सेवाएं देगा।
इसरो के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक इसरो उपग्रह केंद्र (आईसैक) में यह उपग्रह बनकर तैयार हो चुका है लेकिन अभी श्रीहरिकोटा नहीं भेजा गया है। जल्दी ही जीएसएलवी एफ-08 के साथ इंटीग्रेशन के लिए इसे श्रीहरिकोटा भेजा जाएगा। इसरो अधिकारियों के अनुसार जीसैट-6 ए के बाद इसरो पहले छह महीने के दौरान और कई मिशनों को अंजाम देगा। इनमें पीएसएलवी से नौवहन उपग्रह छोड़े जाने के अलावा जीएसएलवी मार्क-3 का प्रक्षेपण, कौरू से जीसैट-11 का प्रक्षेपण और चंद्रयान-2 मिशन शामिल है।
इसरो के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक इसरो उपग्रह केंद्र (आईसैक) में यह उपग्रह बनकर तैयार हो चुका है लेकिन अभी श्रीहरिकोटा नहीं भेजा गया है। जल्दी ही जीएसएलवी एफ-08 के साथ इंटीग्रेशन के लिए इसे श्रीहरिकोटा भेजा जाएगा। इसरो अधिकारियों के अनुसार जीसैट-6 ए के बाद इसरो पहले छह महीने के दौरान और कई मिशनों को अंजाम देगा। इनमें पीएसएलवी से नौवहन उपग्रह छोड़े जाने के अलावा जीएसएलवी मार्क-3 का प्रक्षेपण, कौरू से जीसैट-11 का प्रक्षेपण और चंद्रयान-2 मिशन शामिल है।