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तीन माह से अतिथि व्याख्याताओं को मानदेय नहीं

locationबैंगलोरPublished: Jul 01, 2020 07:08:36 pm

Submitted by:

Sanjay Kulkarni

20 हजार से अधिक अतिथि व्याख्याताओं को गत तीन माह से मासिक मानदेय का भुगतान नहीं

तीन माह से अतिथि व्याख्याताओं मानदेय नहीं

तीन माह से अतिथि व्याख्याताओं मानदेय नहीं

बेंगलूरु. राज्य के विभिन्न कॉलेजों में कार्यरत 20 हजार से अधिक अतिथि व्याख्याताओं को गत तीन माह से मासिक मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है। इनमे से अधिकतर 8-10 वर्ष से कार्यरत हैं इसके बावजूद उनकी समस्याओं का स्थाई समाधान करने में सरकार विफल रही है। अब लॉकडाउन के बाद तीन माह से मानदेय नहीं मिलने के कारण अतिथि व्याख्याता परेशान हैं।
कर्नाटक राज्य स्नातक कॉलेज अतिथि व्याख्याता संघ के अध्यक्ष एच. सोमशेखर के अनुसार मार्च से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है। लॉकडाउन के कारण किसी को काम से नहीं निकालने के निर्देशों के बावजूद कई व्याख्याताओं को निकाला गया है। नियमों के अनुसार उनकी भविष्य निर्वाह निधि, ईएसआई तथा सेवा सुरक्षा जैसी मांगें भी लंबित हैं।
संघ के सचिव डॉ मल्लिकार्जुन मानपाडे के अनुसार वास्तविकता यह है कि अतिथि व्याख्याताओं के कारण ही कई कॉलेजों में नियमित कक्षाएं चलती हंै। 430 सरकारी स्नातक कॉलेज में 6 हजार 232 व्याख्याता है लेकिन इतने व्याख्याताओं से कक्षाएं चलाना संभव नहीं होने के कारण 14 हजार 516 अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति की गई है।
साहित्यकार प्रो बरगूरू रामचंद्रप्पा के अनुसार निजी तथा अनुदानित शिक्षा संस्थाओं के कॉलेज में अतिथि व्याख्याताओं की संख्या 2500 से अधिक है। 100 से अधिक पॉलिटेकनिक तथा अभियांत्रिकी कॉलेज में भी 1300 से अधिक अतिथि व्याख्याता है। इन व्याख्याताओं के साथ न्याय नहीं किया जा रहा है।
राज्य में कई बार सरकार बदली लेकिन व्याख्याताओं के हालात नहीं बदले हैं। कला संकाय में स्नातकोत्तर उपाधिधारी अतिथि व्याख्याताओं को 11 हजार तथा पीएचडी करने वाले व्याख्याताओं को 13 हजार रुपए वेतन का भुगतान किया जा रहा है। जबकि स्थाई व्याख्याताओं को यूजीसी नियमों के अनुसार 1 लाख रुपए से अधिक वेतन का भुगतान किया जा रहा है।
विधान परिषद सदस्य बसवराज होरट्टी, केटी श्रीकंठेगौड़ा, एसवी सुंकनूरु, वाई नारायणस्वामी ने विधान परिषद में इन व्याख्याताओं की समस्या का मुद्दा कई बार उठाया है लेकिन समस्या यथावत है।

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