यूं तो रमजान के शुरू से ही बाजार भांति भांति के मेवे, फल, शरबत आदि से गुलजार हो जाते हैं लेकिन सामान्यत: दस रोजों के बाद बाजारों मे रौनक बढ़ जाती है। इस बार भी बेंगलूरु के बाजारों में यह देखने को मिल रहा है। विशेषकर रसल मार्केट में मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान के दिनों में बड़ी संख्या में अपनी पसंदीदा सामग्री की खरीदी के लिए जाते हैं।
रमजान के कारण रसल मार्कट की सभी दुकानें दुल्हन की तरह सजीं है। खरीदी में खजूर को पहली प्रमुखता दी जाती है। यहां एक ही छत के नीचे सउदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, ईरान, जार्डन, आस्ट्रेलिया समते ५० से अधिक देशों के खजूर, सूखे मेवे, चाकलेट और बिस्कुट मौजूद हैं।
दुकान मालिक मोहम्मद इदरीस छौदरी ने बताया कि रमजान में खजूरबहुत अहमियत रखता है। ऐसी मान्यता है कि इसका जिक्र कुरान में भी आया है। खजूर खाने से भूख भी कम लगती है और इससे अलग-अलग बीमारियों का इलाज मुमकिन है।
कई चिकित्सक भी रोगियों को खजूर का इस्तेमाल करने का सुझाव देते हैं। खजूर में कैलशियम, आयरन जैसे पोषक तत्व सहित कई प्रकार के विटामिन पाए जाते हैं। दुकानों में मबरूम, अशवादी, अजवा, सुक्करे, कल्मी, सुगाय, फार्ड सफाई, थेमर समेत ५० से अधिक प्रकार के खजूर
उपलब्ध हैं।
इसमें अजवा खजूर को कैंसर प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने में सहायक माना जाता है तो मेडजुल को मधुमेह में उपयोगी कहा गया है। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के कई शहरों से लोग रमजान के दौरान खूजर खरीदने रसल मार्केट आते हैं। यहां कई देशों का सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता वाला खजूर आयात किया जाता है।
खजूर में किसी तरह का मिलावट नहीं किया जाता। न सिर्फ आम लोग बल्कि कई राजनीतिक दलों के नेता, कलाकार और कई खिलाडिय़ों को आर्डर पर खजूर भेजते हैं।