लेकिन, सरकार के कदम से वे आहत हुए। इस बीच राहुल ने उठकर उनसे पूछा कि जब सरकार ने एचएएल को रफाल ऑफसेट सौदे से बाहर किया तो उन्हें आश्चर्य हुआ तो सिराजुद्दीन ने कहा कि उन्हें आश्चर्य नहीं बल्कि अपमानित महसूस हुआ।
जिस कंपनी ने देश के तमाम अग्रिम पंक्ति के युद्धकों का उत्पादन पिछले 78 वर्षों से किया उसे सौदे से बाहर कर दिया गया। वे दु:खी हैं और उन्हें समझ में नहीं आता कि ऐसा क्यों हुआ। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उनकी रोटी छीनी जा रही है।
उन्होंने राहुल गांधी और विपक्ष से गुहार लगाई कि उनके सम्मान की रक्षा करें। इस कंपनी को खत्म होने से बचाएं। वे भीख नहीं मांग रहे, वे रफाल बनाने की पूरी योग्यता रखते हैं फिर भी उन्हें नजरअंदाज किया गया और ठेका उसे दिया गया जो कि एक साइकिल बनाने की भी योग्यता नहीं रखते।
उन्होंने दावा किया कि अगर एचएएल प्रबंधन ने कर्मचारियों को नोटिस जारी कर आने से मना नहीं किया होता तो काफी संख्या में कर्मचारी इस कार्यक्रम में शामिल होते। हालांकि, एचएएल के निर्देशों के बावजूद काफी संख्या में वर्तमान कर्मचारी पहुंचे। जितने कर्मचारी इस कार्यक्रम में शामिल हुए उसमें 80 फीसदी वर्तमान कर्मचारी ही थे।
— अंतरराष्ट्रीय ट्रेड यूनियन महासंघ में उठाएंगे मुद्दा
एचएएल कर्मचारी संघ के पूर्व महासचिव महादेवन ने कहा कि यह परिचर्चा बैठक थोड़ी देर से हुई है फिर भी उचित समय पर हुई है। वे इस मुद्दे को यहीं नहीं छोड़ेंगे। अगले महीने एथेंस में ट्रेड यूनियनों के अंतरराष्ट्रीय महासंघ की बैठक होगी जहां वे इस मुद्दे को उठाएंगे। एचएएल को मिलने वाले आर्डर में लगातार गिरावट आ रही है।
एचएएल कर्मचारी संघ के पूर्व महासचिव महादेवन ने कहा कि यह परिचर्चा बैठक थोड़ी देर से हुई है फिर भी उचित समय पर हुई है। वे इस मुद्दे को यहीं नहीं छोड़ेंगे। अगले महीने एथेंस में ट्रेड यूनियनों के अंतरराष्ट्रीय महासंघ की बैठक होगी जहां वे इस मुद्दे को उठाएंगे। एचएएल को मिलने वाले आर्डर में लगातार गिरावट आ रही है।
सरकार एकतरफा ढंग से इस तरह सराकरी उपक्रमों को खत्म नहीं कर सकती। वे एचएएल प्रबंधन के नहीं बल्कि सरकार के कदमों के खिलाफ हैं। सरकार में बैठे उच्च अधिकारी कह रहे हैं कि एचएएल के पास योग्यता नहीं है।
लेकिन, वे स्पष्ट करना चाहते हैं कि एचएएल में पूरी योग्यता है। उन्होंने कहा कि रफाल के ठेके में पहले तकनीकी हस्तांतरण और एचएएल में उसके उत्पादन की बात कही गई थी।एचएएल रफाल परियोजना का असली हकदार है। राहुल ने संवाद के शुरू में एचएएल को समारिक संपत्ति बताते हुए कहा कि देश इसका ऋणी है। बाद में भी राहुले अपनी बात रखी।