लेकिन देश में कोविड-19 (Covid -19) के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा होने के साथ कमजोर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली और वेंटिलेटर्स की कमी पर पूरा ध्यान केंद्रीत है। अमरीका (America) में करीब एक लाख 60 हजार वेंटिलेटर होने के बावजूद वहां वेंटिलेटर कम पड़ गए हैं। ऐसे में भारत में कोरोना वायरस (Corona Virus) के खुल कर पांव पसारने की स्थिति में इसकी भयावता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
आबादी 135 करोड़, वेंटिलेटर 40 हजार
भारत में करीब 40 हजार वेंटिलेटर्स ही उपलब्ध हैं। इनमें से करीब 1200 कर्नाटक में हैं। वो भी निजी और सरकारी अस्पताल मिलाकर। 1200 में से 700 वेंटिलेटर्स अकेले बेंगलूरु के अस्पतालों में हैं। देश के 40 हजार में से करीब 8432 वेंटिलेटर सरकारी अस्पतालों में हैं।
कोविड-19 के मरीज बढऩे पर वेंटिलेटर्स की कमी चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के वुहान व इटली आदि देशों में जिस तरह से कोरोना वायरस ने पांव पसारा उसे देखते हुए भारत को 80 से 100 गुना वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ेगी।
इंडियन सोसायटी ऑफ क्रिटिकल केयर (Indian Society of Critical Care) के अनुमान के अनुसार देश में 40 हजार वेंटिलेटर हैं। जो ज्यादारत सरकारी मेडिकल कॉलेज, मेट्रो शहरों के निजी अस्पतालों व सेमी मेट्रो शहर के अस्पतालों में ही उपलब्ध हैं। कोरोना वायरस से उत्पन्न सबसे खराब स्थिति के मद्देनजर भारत को करीब 40 लाख और कर्नाटक को न्यूनतम पांच हजार वेंटिलेटर्स की तैयारी करनी चाहिए। कोविड-18 के मरीजों को न्यूनतम 21 दिन तक वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ती है।
कोरोना टास्क फोर्स ने कर्नाटक (Corona Task Force, Karnataka) में करीब 80 हजार कोविड-19 मरीज मिलने का अनुमान लगाया है। इनमें से 12 हजार को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ेगी। करीब 9600 मरीजों को आइसीयू और 4800 मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता होगी। बेंगलूरु के अनुमानित 16 हजार मरीजों में से 2400 को भती करने की जरूरत पड़ेगी। दो हजार मरीजों को आइसीयू व करीब एक हजार को वेंटिलेटर सपोर्ट चाहिए होगा।
प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आर. रविन्द्र के अनुसार वेंटिलेटर्स के साथ व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों की भी जरूरत है। वेंटिलेटरों की संख्या व मानव संसाधन बढ़ाने पर सरकार से बातचीत जारी है।
एक की लागत 11-18 लाख
वेंटिलेटर आयात करने की जरूरत है। देश में गिने- चुने वेंटिलेटर निर्माता ही हैं। स्थानियां कंपनियां केवल वेंटिलेटर के वितरक हैं। बेंगलूरु में लगभग दो हजार व बेंगलूरु से बाहर करीब पांच हजार वेंटिलेटर युक्त बिस्तरों की जरूरत पड़ेगी। भारत में वेंटिलेटर बनाने की लागत 5-7 लाख रुपए हैं। जबकि विदेशी मशीन 11-18 लाख रुपए की आती है।
-डॉ. नागेंद्र स्वामी,
-प्रधान समन्वयक,
-फेडेरेशन ऑफ हेल्थकेयर असोसिएशंस कर्नाटक।
समय रहते चेतने की जरूरत
कोविड-19 के 15 फीसदी मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ेगी, 12 फीसदी को उच्च प्रवाह ऑक्सीजन और पांच फीसदी को वेंटिलेटर के साथ श्वसन चिकित्सा सहायता की जरूरत होगी। इसके लिए तैयार रहने की जरूरत है।
-डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी,
-अध्यक्ष,
-नारायण हेल्थ सिटी।
700 वेंटिलेटर तैयार
निजी और सरकारी अस्पतालों में करीब 700 वेंटिलेटर तैयार हैं। इसके अलावा निजी अस्पतालों को और 30 फीसदी वेंटिलेटर तैयार रखने के लिए कहा गया है। सरकार और 1000 वेंटिलेटर खरीद रही है।
-बी. श्रीरामुलू
-स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कर्नाटक।