बेंगलूरु. तेरापंथ सभा हनुमंतनगर के तत्वावधान में तेरापंथ भवन में विराजित मुनि सुधाकर व मुनि नरेशकुमार का मंगल भावना समारोह आयोजित हुआ। मंगल भावना का शुभारंभ तेरापंथ युवक परिषद व महिला मंडल के सदस्यों ने मंगल गान से किया।
मुनि सुधाकर ने कहा विहारचर्या साधु जीवन का अभिन्न अंग है। साधु के लिए विहारचर्या कल्याणकारी है। बहता हुआ पानी और विचरता हुआ संत निर्मल और पवित्र रहता है। संतों की पदयात्रा से जन जागरण होता है। जन-जन को संतों की पदयात्रा से आध्यात्मिक नैतिक वह सांस्कृतिक मूल्यों का प्रचार व प्रसार होता है। नगर-नगर में भ्रमण करते हुए संत भारतीय संस्कृति को और अधिक प्राण मान बनाते हैं। भारत की आत्मा गांवों में बसती है। मुनि ने कहा हनुमंतनगर का यह चातुर्मास आलादकारी, मंगलकारी व कल्याणकारी रहा। आध्यात्मिक क्षितिज के नव द्वार उद्घाटित करने वाला रहा। त्याग तपस्या बेजोड़ रही, जन-जन के आध्यात्मिक के संस्कार जागृत हुए। मुनि ने कहा जो भी कार्य होता है वह गुरु कृपा से ही संभव होता है गुरु का आदेश हमारे लिए सर्वोपरी है। साधु जहां भी रहे, वहां समग्रता से रहे। मन में किसी भी प्रकार का व्यग्रता का भाव नहीं होना चाहिए। जीवन में राग व विराग का समन्वय जरूरी है। जहां राग के भाव का एकांगी प्रभाव होता है। वहां सामाजिक व मानसिक समस्याएं पैदा होती हैं। संतों का चातुर्मास के पश्चात विहार यह संदेश देता है हर परिस्थिति में साम्ययोग का भाव रखा जाए। मुनि नरेश कुमार ने कहा धर्म को पगड़ी नहीं चमड़ी बनाएं। धर्म हमारे जीवन की प्राणवायु बने। हनुमंत नगर का प्रवास तप, जप, ध्यान, योग, प्रचार-प्रसार हर दृष्टि से अत्यंत उपयोगी रहा। तेरापंथ सभा के संरक्षक मूलचंद नाहर ने कहा मुनि का प्रवास मेरे लिए ऊर्जा का केंद्र बना। मुनि की श्री मंत्र साधना अनुपम शक्ति रहस्य व चमत्कार का अनुभव कराती है। इस कार्यक्रम में तेरापंथ सभा अध्यक्ष सुभाष बोहरा, परिषद अध्यक्ष पवन बोथरा महिला मंडल अध्यक्ष मंजू दक, सभा उपाध्यक्ष उदयलाल कटारिया, कोषाध्यक्ष नाथूलाल बोलिया, गौतम दक, परिषद उपाध्यक्ष कमलेश झाबक, मंत्री धर्मेश कोठारी,अंकुश बैद, आशीष धारीवाल, महिलामंडल मंत्री लाजवंती कातरेला, भावना कोठारी, ध्रुव भंडारी, सोनम कटारिया अमोलकचंद कटारिया, चंद्रप्रभु गादिया चिरायु कटारिया, संगीता तातेड़, दीक्षिता धारीवाल ने अपने विचार व्यक्त किए।