बैंगलोरPublished: Jun 15, 2019 06:45:34 pm
Santosh kumar Pandey
सुख और दुख जीवन रूपी सिक्के के दो पहलू हैं। जीवन गंगा धारा के समान है। कभी सुख तो कभी दुख आते ही रहते हैं, इससे न घबराएं। चिंतामणि पाश्र्वनाथ जैन चेरिटेबल ट्रस्ट महालक्ष्मी लेआउट के तत्वावधान में आयोजित प्रवचन के दौरान आचार्य देवेंद्रसागर ने कहा कि संसार में सुख-दुख, दिन-रात, पाप-पुण्य, अमीरी-गरीबी, भला-बुरा सब व्याप्त है। बड़ी सावधानी से जीवन जीना चाहिए।
सुख-दुख सिक्के के दो पहलू