सुख हर कोई पचा नहीं पाता-साध्वी भव्यगुणाश्री
साध्वी वृन्द आज हनुमंतनगर पहुंचेंगी
बैंगलोर
Published: May 21, 2022 07:48:46 am
बेंगलूरु. जयनगर स्थित भंडारी हाउस में विराजित साध्वी भव्यगुणाश्री व साध्वी शीतलगुणाश्री ने कहा कि सुख व्यक्ति के अहंकार की परीक्षा लेता है और दुख व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा लेता है। दोनों परीक्षा में उत्तीर्ण व्यक्ति का जीवन ही एक सफल जीवन कहलाता है। जीवन का एक साधारण सा नियम है और वह ये कि सुख आता है तो वह अपने साथ अहंकार भी लेकर आता है। रावण हो, कंस हो अथवा दुर्योधनादि कौरव हों, इन सबके जीवन की एक ही कहानी है और वह ये कि जीवन में जितना सुख और विलास आया उतना अभिमान भी बढ़ता चला गया। रामचरित मानस में सत्य ही कहा गया है कि नहिं कोउ ***** जनमा जग माहीं। प्रभुता पाइ जाहि मद नाहीं। सुख भी उस घी के समान होता है जिसे आदमी खा तो लेता है मगर पचा नहीं पाता। इसी प्रकार दुख के क्षणों में धैर्य धारण करना भी सबके बस में नहीं होता है। दुख में बड़े-बड़े महारथियों का धैर्य टूटते देखा गया है। दुखों के प्रवाह में धैर्य का बांध उसी प्रकार टूट जाता है जैसे बरसाती नदी के प्रवाह में नदी पर बना कोई बांध। सुख के क्षणों में अहंकार को जीतने वाला और दुख के क्षणों में धैर्य धारण करने वाला ही वास्तव में इस जीवन रूपी महासंग्राम का एक सफल योद्धा है। दुख सहना ही नहीं अपितु सुख सहना भी जीवन की एक महान कला है। साध्वी शीतलगुणाश्री ने कहा कि मन बंधन का कारण भी बनता है,और मोक्ष का कारण भी बनता है। जो मन विषयों में आसक्त रहता है, वह बंधन की और ले जाने वाला होता है, और जो मन विषयासक्ति से मुक्त रहता है, वह मुक्ति की ओर ले जाने वाला होता है। निकेश भंडारी ने बताया कि साध्वी शनिवार सुबह विहार कर हनुमंत नगर पहुंचेंगी।

सुख हर कोई पचा नहीं पाता-साध्वी भव्यगुणाश्री
पत्रिका डेली न्यूज़लेटर
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