scriptपरिश्रम ही मनुष्य की वास्तविक पूजा-अर्चना: आचार्य देवेन्द्र सागर | Hardwork is the real worship of man: Acharya Devendra Sagar | Patrika News

परिश्रम ही मनुष्य की वास्तविक पूजा-अर्चना: आचार्य देवेन्द्र सागर

locationबैंगलोरPublished: Nov 21, 2019 05:07:55 pm

आचार्य देवेन्द्र सागर ने कहा कि परिश्रम का मनुष्य के लिए वही महत्व है जो उसके लिए खाने और सोने का है।

परिश्रम ही मनुष्य की वास्तविक पूजा-अर्चना: आचार्य देवेन्द्र सागर

परिश्रम ही मनुष्य की वास्तविक पूजा-अर्चना: आचार्य देवेन्द्र सागर

बेंगलूरु. बसवनगुडी में आयोजित धर्मसभा में आचार्य देवेन्द्र सागर ने कहा कि परिश्रम का मनुष्य के लिए वही महत्व है जो उसके लिए खाने और सोने का है। बिना परिश्रम का जीवन व्यर्थ होता है क्योंकि प्रकृति के संसाधनों का उपयोग वही कर सकता है जो परिश्रम पर विश्वास करता है। परिश्रम ही मनुष्य की वास्तविक पूजा-अर्चना है। इस पूजा के बिना मनुष्य का सुखी-समृद्ध होना अत्यंत कठिन है। वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है वह सदैव दुखी व दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है।
आचार्य ने कहा कि परिश्रमी व्यक्ति ही किसी समाज में अपना विशिष्ट स्थान बना पाते हैं। अपने परिश्रम के माध्यम से ही कोई व्यक्ति भीड़ से उठकर एक महान कलाकार, शिल्पी, इंजीनियर, डॉक्टर अथवा एक महान वैज्ञानिक बनता है।
आचार्य ने कहा कि कुछ लोग परिश्रम की जगह भाग्य को अधिक महत्व देते हैं। वे लोग यह समझते हैं कि जो हमारे भाग्य में होगा वह हमें अवश्य मिलेगा। भाग्य का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है लेकिन आलसी बनकर बैठे हुए असफलता के लिए भगवान को कोसना ठीक बात नहीं है। आलसी व्यक्ति हमेशा दूसरों के भरोसे पर जीवन यापन करता है। वह अपने हर काम को भाग्य पर छोड़ देता है। हमारे इसी भाव की वजह से भारत देश ने कई वर्षों तक गुलामी की थी। परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।
भाग्य का सहारा वही लोग लेते हैं जो कर्महीन हैं । सभी को परिश्रम के महत्व को स्वीकारना एवं समझना चाहिए तथा परिश्रम का मार्ग अपनाते हुए स्वयं का ही नहीं अपितु अपने देश और समाज के नाम को ऊँचाई पर ले जाना चाहिए ।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो