मंदिर को पूरे साल में आषीवाजी माह या आश्विन माह के पहले गुरुवार को सिर्फ एक हफ्ते ही भक्तों के दर्शन के लिए खोला जाता है। स्थानीय धारणा है कि इस मंदिर के नाम पर ही इस जिले का नाम हासन पड़ा। यहां विराजमान देवी को हसनंबा माता के रूप में पूजा जाता है क्यूंकि मान्यता है कि ये देवी हमेशा हंसती रहती हैं। मंदिर परिसर के अंदर चीटियों की बांबी भी है जिसे देवी के रूप में पूजा जाता है। पूरे महोत्सव अवधि हसनंबा जात्रा महोत्सव के नाम से जाना जाता है।
हालांकि, इस वर्ष मंदिर के कपाट 17 से 29 अक्टूबर तक खुले रहेंगे जिसमें पहले और अंतिम दिन सिर्फ विशेष पूजा होगी। इन दो दिनों में श्रद्धालु दर्शन नहीं कर पाएंगे। मंदिर प्रशासन के अनुसार 17 अक्टूबर को दोपहर 12.30 बजे गर्भगृह का दरवाजा खुलेगा। श्रद्धालु प्रतिदिन सुबह 5 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक और दोपहर 3.30 बजे से रात्रि में संध्या आरती तक तक दर्शन कर सकेंगे।
बेहतर सुविधाएं एवं सुरक्षा
हसनंबा मंदिर के कपाट खुलने पर हर वर्ष हजारों श्रद्धालु देवी के दर्शन को उमड़ते हैं। इसे देखते हुए जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं एवं दर्शनार्थियों के लिए सभी आवश्यक बुनियादी सुविधाएं विकसित की हैं और शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया है। श्रद्धालुओं के लिए आवास, परिवहन, शौचालय, स्वच्छता आदि की सुविधाएं उन्नत करने के साथ ही सुरक्षा के लिए मंदिर के अंदर और आसपास सीसीटीवी कैमरों से निगरानी होगी। इसके अतिरिक्त बड़ी संख्या में पुलिसबल तैनात रहेंगे।
हसनंबा मंदिर के कपाट खुलने पर हर वर्ष हजारों श्रद्धालु देवी के दर्शन को उमड़ते हैं। इसे देखते हुए जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं एवं दर्शनार्थियों के लिए सभी आवश्यक बुनियादी सुविधाएं विकसित की हैं और शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया है। श्रद्धालुओं के लिए आवास, परिवहन, शौचालय, स्वच्छता आदि की सुविधाएं उन्नत करने के साथ ही सुरक्षा के लिए मंदिर के अंदर और आसपास सीसीटीवी कैमरों से निगरानी होगी। इसके अतिरिक्त बड़ी संख्या में पुलिसबल तैनात रहेंगे।
होयसला शासनकाल में निर्मित मंदिर
हसनंबा मंदिर की वास्तुशैली के अनुसार यह होयसला वंश में निर्मित मंदिर प्रतीत होता है। मंदिर के इतिहास को लेकर कोई स्पष्ट दस्तावेज नहीं हैं लेकिन भारत के मध्यकालीन युग में होयसला शासनकाल में हासन कर्नाटक का सबसे बड़ा शहर हुआ करता था। चूकि जिले को हासन नाम देवी हसनंबा से मिला है इसलिए ऐसा माना जाता है कि होयसला के 10वीं से 14वीं सदी के शासन काल के दौरान ही इस मंदिर का अलग अलग रूपों में विकास हुआ।
हसनंबा मंदिर की वास्तुशैली के अनुसार यह होयसला वंश में निर्मित मंदिर प्रतीत होता है। मंदिर के इतिहास को लेकर कोई स्पष्ट दस्तावेज नहीं हैं लेकिन भारत के मध्यकालीन युग में होयसला शासनकाल में हासन कर्नाटक का सबसे बड़ा शहर हुआ करता था। चूकि जिले को हासन नाम देवी हसनंबा से मिला है इसलिए ऐसा माना जाता है कि होयसला के 10वीं से 14वीं सदी के शासन काल के दौरान ही इस मंदिर का अलग अलग रूपों में विकास हुआ।