पहली, हमारी चाहत या कामना और दूसरी, उसे पाने के लिए कौन सा रास्ता होगा। उसके लिए हमारा चुनाव। चाहे इसे प्रमाणित कला माना गया हो या नहीं, पर जरा सोचिए, जब एक सिंह शावक बड़ा होता है, तो झुंड में रहने के बजाय एकदम निडर होकर अकेले और अपने दम पर जीने का चुनाव करता है।
चींटी निरंतर परिश्रम करने का विकल्प चुनती है। मनुष्य भी संगीत, नृत्य, खेल, राजनीति, समाजसेवा वगैरह का चुनाव कर जीवन मार्ग पर आगे बढ़ता है। आचार्य ने कहा कि अपना मार्ग चुनते समय यह सूझ जरूर होनी चाहिए कि क्या यह एक सच्चा और पारदर्शी रास्ता है। आत्मविश्वास के साथ मानसिक संतोष भरा चुनाव हो, तो हर वस्तु अच्छी, हर काम आसान और हर माहौल अनुकूल ही महसूस होता है।