उन्होंने कहा कि लोगों को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए और संयमित जीवनशैली अपनाते हुए योग करना चाहिए। ——–
प्रमाद छोड़कर आत्मा का उत्थान करें
बेंगलूरु. चामराजपेट जैन स्थानक में विराजित विनयमुनि ख्ींचन ने प्रवचन में कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अवसर बार बार नहीं मिलते।
जो अवसर का सही सदुपयोग करते है वे ही अपने जीवन को सार्थक करते हैं। संसार के प्रमादी जीवों को द्रव्य ,क्षेत्र और काल का ध्यान रखना आवश्यक है। प्रेरणा प्रमादी जीवों के लिए ही दी जाती है, धर्मात्मा के लिए नहीं।
उन्होंने कहा कि अनादिकाल से जीव अज्ञान के वश में आकर विषयों और कषायों में प्रवृत्ति करता हुआ इस संसार में भटक रहा है। सच्चे आत्म-स्वरुप का दर्शन न हो सकने के कारण अनादि-काल से इस जीव की दृष्टि विपरीत ही रही है। जीव की इस विपरीत दृष्टि के कारण ही उसे मिथ्यादृष्टि कहा जाता है ।
नेमीचंद दलाल ने बताया कि चार दिवसीय दोपहरीय गुणस्थान शिक्षण सत्र के द्वितीय दिवस में श्रावक-श्रविकाओं ने भाग लिया। संघ के महामंत्री सम्पतराज बाफऩा ने आभार जताया।