नाम नहीं छापने की शर्त पर विक्टोरिया अस्पताल के एक चिकित्सक ने बताया कि उन्होंने बूस्टर डोज (booster dose) ली है। स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बूस्टर डोज जरूरी है। चिकित्सक होने के कारण उन्हें मामले की बेहतर समझ हैं। कई शोधकर्ताओं ने भी बूस्टर डोज की वकालत की है।
कोविड-19 तकनीकी सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. सी. एन. मंजूनाथ के अनुसार ज्यादातर स्वास्थ्यकर्मी घबराहट में बूस्टर डोज ले रहे हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है। लेकिन, केंद्र सरकार ने बूस्टर डोज को लेकर दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। कई चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी एंटीबॉडी जांच कर रहा हैं। एंटीबॉडी घटने पर बूस्टर डोज ले रहे हैं। बूस्टर डोज खतरनाक नहीं है। लेकिन अभी तक कोई नीति नहीं बनी है। फिलहाल बूस्टर डोज से बचना बेहतर होगा।
कुछ चिकित्सकों का कहना है कि एंटीबॉडी घटने का अर्थ शारीरिक प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) का कमजोर होना नहीं है। एंटीजन के सामने आने पर एंटीबॉडी बढ़ेंगे और पहले की तुलना में ज्यादा मजबूती से बाहर निकल वायरस से लड़ेंगे।
महामारी रोग विशेषज्ञ व कोविड-19 तकनीकी सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. गिरिधर आर. बाबू ने कहा कि वायरस के बदलने के कारण हर वर्ष फ्लू शॉट्स की जरूरत पड़ती है। कोरोना के मामले में गामा वेरिएंट (gamma variant) के बाद कोई ऐसा वेरिएंट सामने नहीं आया है, जो सर्वाधिक संक्रामक हो। ऐसे में बूस्टर डोज को लेकर स्पष्टता नहीं है। लोगों को चाहिए कि सरकारी दिशा-निर्देशों का इंतजार करें।