मामले की सुनवाई कर रही न्यायाधीश एनवी रमणा की अगुवाई वाली पीठ ने इस प्रकरण की याचिका के संबंध में केवियेट दायर करने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडुराव, कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरामय्या, जद-एस के प्रदेश अध्यक्ष एचके कुमारस्वामी तथा विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय को नोटिस जारी करने के आदेश दिए।
विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने न्यायालय से उपचुनाव पर अंतरिम स्थगन लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में 21 अक्टूबर को चुनाव होने हैं और नामांकन पत्र भरने की अंतिम दिनांक 30 सितम्बर है। उन्होंने कहा कि यदि उपचुनाव स्थगित नहीं किए जाते हैं तो अयोग्य ठहराए गए विधायकों को उपचुनाव लडऩे की अनुमति दी जानी चाहिए।
रोहतगी ने पूर्व स्पीकर के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि इस्तीफे स्वीकार करने के बारे में तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया लिहाजा पूर्व विधायकों को विधानसभा के पूरे कार्याकाल के लिए चुनाव लडऩे से रोका नहीं जा सकता।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका का विरोध किया और सुनवाई को एक सप्ताह के लिए टालने की मांग की। चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि उपचुनाव स्थगित नहीं किए जा सकते और आयोग को सदस्यता से अयोग्य ठहराए विधायकों के चुनाव लडऩे पर कोई आपत्ति नहीं है।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को सदस्यता से अयोग्य ठहराने के बारे में कुछ नहीं कहना है लेकिन त्यागपत्र मंजूर करने या सदस्यता से अयोग्य ठहराने में से किसी भी स्थिति में सीटें रिक्त हुई हैं लिहाजा उपचुनाव पर स्थगन नहीं लगाया जाना चाहिए। इस केस की सुनवाई अब बुधवार को जारी रहेगी।
कांग्रेस व जद-एस के 17 विधायकों के त्यागपत्र देने के कारण जुलाई में कांग्रेस जद-एस सरकार का पतन हो गया था। स्पीकर रमेश कुमार ने बाद में दल-बदल विरोधी कानून के तहत सभी को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार देने के साथ ही उनके मौजूदा विधानसभा के कार्यकाल में चुनाव लडऩे व लाभ का पद पाने पर रोक लगा दी थी। इस कारण रिक्त हुई 17 में से 15 सीटों के उपचुनाव की चुनाव आयोग ने शनिवार को घोषणा कर दी है।