पेट्रोलियम उत्पादों की मूल्य वृद्धि से केवल उपभोक्ता परेशान नहीं है। हर क्षेत्र में इस मूल्य वृद्धि का असर नजर आ रहा है। जिसके परिणाम स्वरूप कई सेवाओं के शुल्क बढ़ते जा रहे है। ऐसी गंभीर स्थिति में भी केंद्र तथा राज्य सरकार इन उत्पादों पर अधिक उत्पाद शुल्क लगाकर केवल राजस्व बटोरने में व्यस्त है।
उन्होंने कहा कि भाजपा तथा कांग्रेस जैसे कथित राष्ट्रीय दल पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने के प्रयास कर रहे है। जनता दल-एस इसका पुरजोर विरोध करेगा। केंद्र सरकार इस राजस्व पर एकाधिकार स्थापित करने का प्रयास कर रहा है। केंद्र सरकार की यह मानसिकता देश के संघीय ढांचे के लिए घातक साबित होगी।
पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में शामिल करने से इस समस्या का समाधान भी संभव नहीं है। केंद्र तथा राज्य सरकारें उत्पाद शुल्क में कटौती कर उपभोक्ताओं को राहत दे सकती है। वर्तमान में केंद्र तथा राज्य सरकार मिलकर पेट्रोलियम उत्पादों पर लगभग 68 रुपए प्रति लीटर उत्पाद शुल्क वसूल रही है। यही इस समस्या की वास्तविक जड़ है।
पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में शामिल करने से इस समस्या का समाधान भी संभव नहीं है। केंद्र तथा राज्य सरकारें उत्पाद शुल्क में कटौती कर उपभोक्ताओं को राहत दे सकती है। वर्तमान में केंद्र तथा राज्य सरकार मिलकर पेट्रोलियम उत्पादों पर लगभग 68 रुपए प्रति लीटर उत्पाद शुल्क वसूल रही है। यही इस समस्या की वास्तविक जड़ है।
कांग्रेस के पास कोई स्पष्ट राय नहीं उन्होंने इस मामले को लेकर कांग्रेस पर आरोप लगाया कि एक ओर कर्नाटक में कांग्रेस के नेता पेट्रोलियम उत्पादों की मूल्य वृद्धि के खिलाफ ‘100 नॉट आउट’ के नाम से संघर्ष कर रहे है, तो दूसरी ओर इसी दल के राष्ट्रीय नेता पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग कर रहे हैं। इससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस के पास इस समस्या के स्थाई समाधान की कोई स्पष्ट राय नहीं है। कांग्रेस तथा भाजपा दोनों राष्ट्रीय दल संसाधनों पर एकाधिकार जमा कर राज्य सरकारों को कमजोर करने की साजिश कर रहे है।