मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी और न्यायाधीश एसआर कृष्ण कुमार की खंडपीठ ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा कि हम गोशालाओं की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के संबंध में अनुपालन हलफनामे के विवरण से संतुष्ट नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि हम राज्य सरकार को 25 मार्च 2022 के अनुपालन हलफनामे में प्रस्तुत दस्तावेजों में चिह्नत भूमि पर गोशालाओं की स्थापना के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश देते हैं और अगली तारीख में इस संबंध में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हैं।
अदालत उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआइएल) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राज्य सरकार को कर्नाटक पशुधन रोकथाम और संरक्षण अधिनियम की धारा 19 के तहत हर जिले में एक गोशाला स्थापित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
इससे पहले याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने इस संबंध में राज्य को निर्देश जारी किए थे। सोमवार को सुनवाई के दौरान सरकार के अनुपालन हलफनामे से अदालत संतुष्ट नहीं हुई।
हलफनामे में विवरण की कमी
हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने दस्तावेजों के साथ अनुपालन हलफनामा दाखिल किया है जिसमें कहा गया है कि कर्नाटक के प्रत्येक जिले में गोशालाओं की स्थापना के उद्देश्य से भूमि की पहचान की गई है और इस संबंध में धन आवंटित किया गया है। अदालत ने कहा कि दस्तावेजों में इस बात का उल्लेख नहीं है कि किसी भी जिले में कोई गोशाला स्थापित की गई है या नहीं। अदालत ने सरकार के हलफनामे में विवरण की कमी पाई।
जून के पहले सप्ताह में होगी सुनवाई
अब मामले को जून के पहले सप्ताह में फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया। अदालत ने सरकार से कहा कि आपने जमीन की पहचान कर ली है और धन आवंटित कर दिया है, बस इतना ही। वास्तव में न तो कोई गोशाला स्थापित है और न ही गोशालाओं की स्थापना के लिए कोई प्रयास किया जा रहा है। आपको एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करनी होगी कि इन चिन्हित जमीनों पर कितनी गोशालाएं स्थापित की गई हैं।