लाकडाउन के कारण संकट से घिरे लोगों के हितों की रक्षा करने क मांग को लेकर दायर की गई एक जन हित याचिका पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अभय एस,ओका व न्यायाधीश बी.वी. नागरत्ना की सदस्यता वाली खंडपीठ ने राज्य के महाधिवक्ता प्रभुलिंगा नावडग़ी को इस संबंध में 3 अप्रेल तक सविस्तार रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।
इतना ही नहीं पीठ ने पिछले एक सप्ताह से लोगों को घरों में खदेडऩे के लिए लाठी प्रहार कर रही पुलिस की कार्रवाई पर चिंता जताते हुए इस संबंध में राज्य के पुलिस महानिदेशक से रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इसी तरह उन्होंने कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण जेलों में बंद कैदियों को जमानत या पैरोल पर छोडऩे के बारे में सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। इतना ही नहीं कोर्ट ने चिकित्साकर्मियों को सुरक्षा उपकरणों की आपूर्ति करने, कचरा निपटान, आम जनता के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए उटाए गए कदमों सहित कुल 9 बिन्दुओं पर विस्तार से रिपोर्ट मांगी है। पीठ ने कोरोना संक्रमण की गंभीरता पर चिंता जताते हुए आम जनता से सरकारी निर्देसों का पालन करने की भी अपील की।
पीठ ने कहा कि गरीबों, श्रमिकों व निराश्रितों को चिंता करने की जरुरत नहीं है। पीठ ने जब राशन कार्ड के जरिए गरीबों को अनाज की आपूर्ति के बारे में पूछा तो महाधिवक्ता ने कहा कि सरकार ने बीपीएल परिवारों को अप्रेल माह के प्रथम सफ्ताह में दो माह का अग्रिम राशन वितरित करने के कदम उठाए हैंं। इस पर पीठ ने कहा कि केवल राशनकार्ड धारकों को ही नहीं राष््ट्रीय आपदा के इस दौर में हरेक व्यक्ति को परिचय पत्र के आधार पर राशन वितरित किया जाना चाहिए और इस बारे में सरकार का नजरिया क्या है स्पष्ट किया जाना चाहिए।
महाधिवक्ता ने जब कहा कि इंदिरा कैंटीनो ंके जरिए गरीबों को बोजन वितरित किया जा रहा है। इससे असंतुष्ट पीठ ने कहा कि इंदिरा कैंटीन केवल बेंगलूरु शहर तक सीमित है लिहाजा ग्रामीण क्षेेत्रों में गरीबों को आहार उपलब्ध करवाने के कदम उठाने होंगे। पीठ ने रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों के पास रहने वाले भिखारियों, बेघर श्रमिकों व निराश्रितों को भोजन उपलब्ध करवाने के कदमों, शहरी इलाकों में सफाईकर्मियों को सुरक्षा कवच , भोजन की आपूर्ति, सेनेटाईजर की आपूर्ति,कचरा निपटान, कोरोना संक्रमण से लड़ रहे निजी व सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों, नर्सों, तकनीशियनों, डी ग्रुप के कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण, पहचान पत्र वितरित किए जाने के बारे में भी रिपोर्ट में सविस्तार जानकारी देने को कहा।
पीठ ने आंगनवाड़ी केन्द्रों के बंद हो जाने के कारण बच्चों व प्रसूताओं को पोष्टिक आहार की आपूर्ति, सरकारी स्कूलों में मिड डे मील की आपूर्ति की स्थिति के बारे में जानकारी देने को कहा। इतना ही नहीं पीठ ने बेंगलूरु पुलिस आयुक्त के 18 सूत्री दिशा निर्देशों की तर्ज पर राज्य के पुलिस महानिदेशक को भी इसी तरह के दिशा निर्देश जारी करने के निर्देश दिए। पीठ ने कैदियों की जमानत या पैरेल पर रिहाई के संबंध में स्पष्टीकरण देने की सरकार से मांग की और यह भा जानना चाहा कि सरकार ने कोरोना संक्रमण के संदिग्धों के घरों से कचरा उठाने के बारे में क्या कदम उठाए हैं?